5 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

आप पतन को रोक सकती हैं…पूर्व मुख्य सचिव शैलजा चंद्रा का मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को खुला पत्र

CM Rekha Gupta: दिल्ली की पूर्व मुख्य सचिव शैलजा चंदा ने सीएम रेखा गुप्ता को खुला पत्र लिखा है। इसमें दिल्ली की राजनीति बदलने का फैसला लेकर सरकार के पतन को रोकने की बात कही गई है।

2 min read
Google source verification
CM Rekha Gupta

CM Rekha Gupta

CM Rekha Gupta: दिल्ली की पूर्व मुख्य सचिव शैलजा चंद्रा ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से खुला आग्रह किया है कि वे तुष्टिकरण की राजनीति से ऊपर उठकर दिल्ली को एक साहसी और दूरदर्शी नेतृत्व प्रदान करें। 81 साल की शैलजा चंद्रा केंद्र सरकार में स्वास्थ्य सचिव और दिल्ली सरकार की मुख्य सचिव रह चुकी हैं। उन्होंने दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता को लिखे अपने पत्र में कहा कि वे किसी राजनीतिक एजेंडे या सलाहकार भूमिका के इरादे से यह पत्र नहीं लिख रही हैं। बस वे ये चाहती हैं कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता इस पत्र पर विचार करें और जनता के हित में साहसी निर्णय लें।

दिल्ली की हालिया स्थिति पर जताई चिंता

खुले पत्र में चंद्रा ने राजधानी की गिरती स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि शहर को अब प्रशासनिक फेरबदल की नहीं, बल्कि निर्णायक और निडर राजनीतिक फैसलों की जरूरत है। शैलजा चंद्रा ने लिखा, “दिल्ली की हालिया स्थिति चिंताजनक है, लेकिन आप इसमें बदलाव ला सकती हैं। आपको प्रशासनिक फेरबदल नहीं, बल्कि राजनीतिक दृढ़ता दिखाने की जरूरत है।”

यह भी पढ़ें : छात्रों को रेखा सरकार का तोहफा; सीएम इंटर्नशिप 2025 शुरू, 20000 रुपये मिलेगा वेतन, जानें पूरी डिटेल

उन्होंने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को दिल्ली की सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री रह चुकीं दिवंगत शीला दीक्षित से आगे निकलने का अवसर बताया, खासकर जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर का भी समर्थन प्राप्त है। अपने पत्र में चंद्रा ने बीते दशकों में चली आ रही ‘वोट बैंक केंद्रित’ राजनीति पर भी सवाल उठाए।

तुष्टिकरण और वोट बैंक की राजनीति पर सवाल

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, शैलजा चंद्रा ने अपने पत्र में कहा कि दिल्ली में योजनाबद्ध विकास की जगह तुष्टिकरण की राजनीति ने प्रवासियों के मुद्दों को राजनीतिक संरक्षण में बदल दिया है। अनधिकृत कॉलोनियों का नियमितीकरण, मुफ्त सुविधाएं और पर्यावरणीय मानदंडों की अवहेलना राजनीति का हिस्सा बन गया है। उनका कहना है कि दिल्ली की 7 मिलियन आबादी अब भी अनधिकृत कॉलोनियों में रहती है। जहां अवैध उद्योगों का जहरीला कचरा खुले में बहाया जाता है। इससे नालों में गंदगी बढ़ी है और यमुना प्रदूषण के चरम पर पहुंच गई है। इसके बावजूद सरकारें इन मसलों को नज़रअंदाज करती रही हैं।

नीतिगत विफलताएं और न्यायिक निर्णयों की अवहेलना

दिल्ली की पूर्व मुख्य सचिव शैलजा चंद्रा ने शहरी नियोजन की विफलताओं के लिए नीतियों, न्यायिक फैसलों को पलटने और विधायी हस्तक्षेपों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक और कृषि भूमि पर अतिक्रमण की लंबे समय से चली आ रही परंपरा को खत्म करना होगा। साथ ही यह स्पष्ट करना होगा कि भविष्य में कोई भी अतिक्रमण नियमित नहीं किया जाएगा। चंद्रा ने यह भी सुझाव दिया कि राज्य सरकार को प्रशासनिक मशीनरी के साथ बेहतर समन्वय बनाकर सभी संसाधनों का प्रभावी उपयोग करना चाहिए।

यह भी पढ़ें : मैं दिल्लीवासियों से अपील करता हूं…कांवड़यात्रा के बीच दुकानों को लेकर विवाद पर राजा इकबाल सिंह

प्रवासियों के लिए रोज़गार केंद्रों के पास ‘प्रवास-उत्तरदायी’ आवास विकसित किए जाने चाहिए, जिससे बेतरतीब बसावट से बचा जा सके। अपने पत्र के अंत में चंद्रा ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वे दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाएं और यह सार्वजनिक रूप से स्पष्ट करें कि किसी भी नए अतिक्रमण को अब मान्यता नहीं दी जाएगी। उन्होंने तात्कालिक लाभ की राजनीति से ऊपर उठकर एक समावेशी, टिकाऊ और स्वच्छ दिल्ली की दिशा में कदम उठाने का अनुरोध किया।