दिल्ली: स्वाति मालीवाल ने जीबी रोड पर कोठा बंद कराने के मामले में बंगाल पुलिस से मांगा जवाब
अलग-अलग राज्यों में छापेमारी कर…
बता दें कि इसी मामले को लेकर पुलिस ने पांच राज्यों महाराष्ट्र, गोवा, झारखंड, तेलंगाना और दिल्ली में छापेमारी की थी और वामपंथी विचारधारा के समर्थक सुधा भारद्वाज को उनके फरीदाबाद स्थित आवास से गिरफ्तार किया गया था। जबकि वरवर राव को हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया था। इसके अलावे वामपंथी विचारक अरुण फरेरा और वर्णन गोनजाल्विस भी हिरासत में लिए गए थे। वामपंथी विचारक गौतम नवलखा को भी भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पुलिस ने हिरासत में लिया गया था। ये सभी मानवाधिकार कार्यकर्ता के तौर पर समाज में जाने जाते है। गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने इनके पास से लैपटॉप, पेन ड्राइव और कागजात बरामद किए गए थे। हालांकि देश की सर्वोच्च अदालत में सुनवाई के बाद कोर्ट के आदेश पर अगली सुनवाई तक सभी अपने-अपने घर में नजरबंद हैं। इससे पहले बीते जून माह में कबीर कला मंच के सुधीर ढवले और नागपुर से एक वकील सुरेंद्र गडलिंग को गिरफ्तार किया गया था।
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क्या है पूरा मामला
बता दें कि महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव युद्ध की 200 वीं वर्षगांठ के दौरान एक जनवरी को पुणे में दलित समूहों और दक्षिणपंथी हिन्दू संगठनों के बीच हिंसक संघर्ष हो गया था। जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। ये जश्न अंग्रेजों की जीत को लेकर मनाया गया था। दलित संगठन, पेशवा बाजीराव द्वितीय की सेना पर अंग्रेजों के शौर्य दिवस को हर साल धूमधाम से मनाते हैं। इसके अलावे बीते वर्ष 31 दिसबंर को शनिवारवाड़ा के बाहर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कार्यकर्ताओं द्वारा यलगार परिषद का आयोजन किया गया था। इसी दौरान मुंबई और कल्याण से कई माओवादी कार्यकर्ता पकड़े गए थे। इनसे पूछताछ के दौरान पता चला कि भीमा कोरेगांव दंगे में माओवादी साजिश का हाथ है। इसके बाद से लगातार पुलिस हर मामले की छानबीन करते हुए अपनी जांच को आगे बढ़ाते रही और अब इसी सिलसिले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया था जो अपने घर में कोर्ट के आदेश पर नजरबंद है, जबकि दिल्ली पुलिस ने चार अन्य लोगों को गिरफ्तार किया है।