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दिल्ली: मानसून में द्वारका में हो चुके हैं तीन बड़े हादसे, लेकिन अब भी लापरवाही जारी

locationनई दिल्लीPublished: Jul 24, 2018 02:15:11 pm

Submitted by:

Shivani Singh

मानसून में दिल्ली में द्वारका में अकेल तीन बड़े हादसे हो चुके हैं। लेकिन तीनों मामलों में अभी तक कोई कार्रवाही नहीं हुई है।

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दिल्ली: मानसून में द्वारका में हो चुके हैं तीन बड़े हादसे, लेकिन अब भी लापरवाही जारी

नई दिल्ली। कहते हैं बारिश हरियाली लेकर आता है। मानसून के बाद मौसम सुहाना होता। लेकिन दिल्लीवासियो के लिए बारिश हादसे लेकर आया है। दरअसल, दिल्ली में द्वारका में अकेल तीन बड़े हादसे हो चुके हैं। लेकिन तीनों मामलों में अभी तक कोई कार्रवाही नहीं हुई और जो भी कदम उठाए गए वह भी नाकाफी साबित हुए है। आइए जानते हैं इन तीनों हादसों के बारे में…

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पहला हादसा

पहला हादसा 27 जुन की रात का है। 27 जून को दिल्ली में तेज बारिश हुई थी। बारिश की वजह से द्वारका में करंट लगने की वजह से एक स्टूडेंट की मौत हो गई थी। दरअसल, उस रात एक स्टूडेंट अपने कोचिंग से निकल कर रामफल चौक पर अपने दोस्तो के साथ चाय पी रहा था। इसी दौरान बारिश में बीएसईएस के पोल के साथ लगे लोहे की बोर्ट को उसने छू लिया, जिससे करंट लगने से उसकी मौत होई । वहीं, उससे बचाने के लिए उसके अन्य तीन दोस्त भी करंट की चपेट में आ गए थे लेकिन एक पुलिस वाले की समझदारी की वजह से उनकी जान बच गई। बता दें कि इस मामले में बीएसईएस पर लापरवाही का मामला भी दर्ज हुआ था, लेकिन अभी तक कोई कोर्रवाई नहीं हुई है।

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दूसरा हादसा

वहीं, दूसरा मामला द्वारका मोड़ मेट्रो स्टेशन का है। यहां ड्रेन के उपर बने फुटपाथ का लेंटर गिरने की वजह से वहां से जा रहे दो लोग उसकी उसकी चपेट में आ गएष जिससे उन्हें चोटें आई थीं। बता दें कि यह हादसा भी बारिश के बाद हुआ था। लेकिन अब तक इस मामले को 10 दिन से भी ज्यादा हो चुका है लेकिन अभी तक उस जगह की मरम्मत नहीं की गई।

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तीसरा हादसा

तीसर हादसा रविवार रात का है। द्वारका के ककरोला डेयरी इलाके के हरि विहार में घर की छत गिरने से सुनील और उनकी पत्नी की मौत हो गई, जबकि तीन बच्चे घायल है। पूरा परिवार RZ-92 नंबर वाले मकान में रहता था। हादसे ने तीनों बच्चों के सिर से मां-बाप का साया छीन लिया है। वहीं, मां-बाप की मौत के बाद बच्चों का रो-रो कर बुरा हाल है। नौ साल की राधिका रोते -रोते बस यही बोल रही है कि पापा मुझे बचाने में खुद ही छत के नीचे दब गए।

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