24 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Patrika Explainer: कोरोना वायरस से इम्यूनिटी पर क्या कहती है नई स्टडी

पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड द्वारा किए गए ताजा अध्ययन में महत्वपूर्ण बात आई सामने। पता चला कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति में महीनों तक रह सकती है इम्यूनिटी। फिर भी ऐसे लोग वायरस को नाक और गले के जरिये में ले जाने में सक्षम।

3 min read
Google source verification
Explainer: Immunity from Coronavirus, new study says this thing

Explainer: Immunity from Coronavirus, new study says this thing

नई दिल्ली। पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (पीएचई) द्वारा किए गए एक नए अध्ययन में कहा गया है कि कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके लोगों को इस बीमारी से कई महीनों तक पुन: संक्रमण से बचाया जा सकता है। इसके साथ ही शोधकर्ताओं ने इस बीमारी से इम्यूनिटी (प्रतिरक्षा) से जुड़ी अन्य शोधों के निष्कर्षों का भी समर्थन किया है।

इबोला खोजने वाले डॉक्टर ने Disease X मिलने पर दी चेतावनी, कोरोना से ज्यादा जानलेवा नई बीमारियों का खतरा

हालांकि फिर भी विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इम्यूनिटी वाले लोग अभी भी वायरस को अपनी नाक और गले में ले जाने में सक्षम हो सकते हैं और इसलिए इससे दूसरों में इसके प्रसारित होने का जोखिम होता है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि जिन व्यक्तियों को यह बीमारी हो चुकी है और इससे उबर चुके हैं, वे सभी सावधानी बरतना जारी रखें। जैसे- मास्क पहनना, नियमित रूप से हाथ धोना और दूसरों से कम से कम दो मीटर की दूरी बनाए रखना।

किस पर आधारित है यह शोध?

COVID-19 संक्रमण के साथ-साथ एंटीबॉडी की उपस्थिति के लिए PHE के शोधकर्ता जून से समूचे ब्रिटेन में हजारों स्वास्थ्य कर्मियों का परीक्षण कर रहे हैं। 18 जून से 24 नवंबर के बीच वैज्ञानिकों ने कुल 6,614 प्रतिभागियों में से 44 संभावित संक्रमणों का पता लगाया, जिनमें एंटीबॉडी का पॉजिटिव टेस्ट किया गया था।

अध्ययन के मुताबिक महामारी की पहली लहर के दौरान कोरोना-19 संक्रमित होने की प्रबलता के दो संभावित मामलों का परीक्षण नहीं किया गया था। इन दोनों मरीजों में दूसरी बार कम गंभीर लक्षण दिखाई दिए। महत्वपूर्ण रूप से पहली लहर के दौरान पीसीआर टेस्ट का इस्तेमाल करके 44 संभावित पुर्नसंक्रमितों में से किसी का भी परीक्षण नहीं किया गया था, लेकिन बाद में इन्हें एंटीबॉडी के लिए पॉजिटिव पाया गया।

कोरोना टीकाकरण का ऐलान, जानिए 10 बड़े सवालों के जवाब

इससे वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला कि SARS-CoV-2 वायरस से पिछले संक्रमण के परिणामस्वरूप लोगों को स्वाभाविक रूप से प्रतिरक्षा प्राप्त हुई है, जो पुन: संक्रमण के खिलाफ 83 प्रतिशत सुरक्षा प्रदान करता है, उनकी तुलना में जिन लोगों को पहले बीमारी नहीं हुई है। वैज्ञानिकों ने कहा कि यह सुरक्षा उस समय से पांच महीने तक चलती है, जब वह व्यक्ति पहली बार कोरोना से बीमार हुआ था।

COVID-19 से इम्यूनिटी के बारे में क्या जानते हैं?

एक बीमारी के खिलाफ प्रतिरक्षा की लंबी उम्र अलग-अलग रोग में भिन्न होती है और इसे प्रभावित करने वाले कारकों में से एक संक्रमित व्यक्ति द्वारा उत्पादित एंटीबॉडी को बेअसर करने की मात्रा है। उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति खसरे से संक्रमित हो जाता है, तो उसकी प्रतिरक्षा आमतौर पर हमेशा के लिए रहती है। लेकिन फ्लू के मामले में, लोगों को सुरक्षित रहने के लिए हर साल टीकाकरण करवाना पड़ता है।

इस सप्ताह 188 मरीजों के रक्त के नमूनों के विश्लेषण पर आधारित साइंस जर्नल में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में बताया गया कि कोविड-19 के लिए शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया प्रारंभिक संक्रमण से लक्षणों की शुरुआत के बाद आठ महीने तक रह सकती है।

विशेषज्ञों ने दिया बड़े सवाल का जवाब- क्या कोई Vaccine 100 फीसदी कारगर हो सकती है?

कोविड-19 के लिए प्रतिरक्षा की अवधि महामारी के माध्यम से अनुसंधान का विषय रही है और अब तक के अध्ययनों ने विभिन्न परिणाम प्रदान किए हैं। पिछले साल जुलाई में किंग्स कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन ने सुझाव दिया था कि प्रतिरक्षा कुछ महीनों में खत्म हो सकती है।

नवंबर 2020 में पुणे में एक अध्ययन से पता चला है कि वायरस से संक्रमित होने वाले लगभग 85 प्रतिशत लोगों ने रोग की प्रतिक्रिया में एंटीबॉडी को निष्क्रिय करने का विकास किया था।