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इबोला खोजने वाले डॉक्टर की चेतावनी, इंसानों पर कोरोना से ज्यादा जानलेवा नई बीमारियों का खतरा

locationनई दिल्लीPublished: Jan 04, 2021 11:56:38 pm

चार दशक पहले इबोला वायरस खोजने वाले डॉक्टर ने जताई Disease X की आशंका।
कोविड-19 की तुलना में नई बीमारियां इंसानों के लिए हो सकती हैं ज्यादा जानलेवा।
अफ्रीका में नजर आई एक नई बीमारी, अभी तक नहीं चल सका है कारण का पता।

Warning of Disease X: Humans in danger as new diseases deadlier than Coronavirus may hit

Warning of Disease X: Humans in danger as new diseases deadlier than Coronavirus may hit

नई दिल्ली। चार दशक पहले इबोला की खोज करने वाले वैज्ञानिक ने बड़ी चेतावनी जारी की है। इसके मुताबिक अफ्रीकी उष्णकटिबंधीय वर्षावनों से इंसानों को अज्ञात संख्या में नए और संभावित घातक वायरस सामना करना पड़ रहा है। यहां तक कि अफ्रीका के दूरगामी कस्बे कांगो में एक महिला में रक्तस्रावी बुखार के लक्षण दिखाई दे रहे हैं, जिसने नए घातक रोगजनकों की आशंका जताई है। ऐसे में इसके पीछे Disease X की आशंका जताई गई है।
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सीएनएन के मुताबिक इंगेंडे में एक महिला का इबोला सहित कई बीमारियों के लिए परीक्षण किया गया था, लेकिन सभी की टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आई। ऐसे में यह आशंका जताई गई है कि उसकी बीमारी तथाकथित ‘डिजीज एक्स’ (Disease X) के कारण हो सकती है। Disease X एक नया “अप्रत्याशित या अंजान” रोगज़नक़ है जो कोरोना वायरस बीमारी (कोविड-19) की तरह तेजी से फैल सकता है, लेकिन इसकी मृत्यु दर इबोला की तरह 50 से 90 फीसदी है। इबोला जैसे लक्षणों वाला मरीज तब से अब तक ठीक हो चुका है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि “Disease X” (X यानी अंजान या अप्रत्याशित है) फिलहाल काल्पनिक है। संगठन ने इसे एक प्रकोप बताया है, जिससे वैज्ञानिकों और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों को डर है कि अगर या जब भी यह फैलेगा तब दुनिया भर में गंभीर बीमारी हो सकती है।
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वर्ष 1976 में इबोला वायरस की खोज में मदद करने वाले प्रोफेसर जीन-जैक्स मुएम्बे ताम्फुम ने सीएनएन से बात करते हुए कहा, “हम अब एक ऐसी दुनिया में हैं, जहां नए रोगजनकों का पता चलेगा। और यही मानवता के लिए एक खतरा है।” यह पूछे जाने पर कि क्या कोविड-19 की तुलना में कोई नई बीमारी अधिक सर्वनाश करने वाली हो सकती है, उन्होंने कहा: “हां, हां, मुझे ऐसा लगता है।”
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सीएनएन के मुताबिक मुएम्बे ने चेतावनी दी है कि जानवरों से मनुष्यों में आने वाली या काफी ज्यादा जूनोटिक (प्राणी जन्य) बीमारियां पैदा हो सकती हैं। येलो फीवर और रेबीज के साथ कोविड-19 उन बीमारियों में से है जिनके बारे में माना जाता है कि ये एक ‘अज्ञात स्थान’ से सामने आए हैं। ‘अज्ञात स्थान’ को माना जाता है कि जानवरों के रहने वाली जगह वायरस के प्राकृतिक मेजबान होते हैं।
मुएम्बे किंशासा में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल रिसर्च (INRB) चलाते हैं। इस इंस्टीट्यूट को यूएस सेंटर फॉर डिसीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन और WHO की सहायता मिली हुई है। मुएम्बे की प्रयोगशालाएं इबोला जैसी ज्ञात बीमारियों और उन बीमारियों के लिए भी जिनका वैज्ञानिकों को अभी तक पता लगाना बाकी है, के नए प्रकोप के लिए दुनिया की शुरुआती चेतावनी प्रणाली हैं।
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मुएम्बे ने कहा, “अगर एक रोगजनक अफ्रीका से निकला है तो उसे पूरी दुनिया में फैलने में समय लगेगा। इसलिए अगर इस वायरस का पता शुरुआत में लगा लिया जाता है- जैसे यहा मेरी संस्था में- तो यूरोप (और बाकी दुनिया के लिए) इन नए रोगजनकों से लड़ने के लिए नई रणनीतियां विकसित करने का मौका होगा।”
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गौरतलब है कि SARS-CoV-2, जो कोरोना वायरस बीमारी का कारण बना है के बारे में माना जाता है कि यह चीन में और संभवतः चमगादड़ों से उत्पन्न हुआ है। विशेषज्ञों ने बड़े पैमाने पर जूनोटिक रोगों (प्राणीजन्य रोगों) के प्रकोप के लिए वनों की कटाई को जिम्मेदार ठहराया है जिससे जानवरों के प्राकृतिक आवास गायब हो जाते हैं।
जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के कोविड-19 ट्रैकर के मुताबिक दुनिया भर में कोरोना वायरस बीमारी से 8.5 करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं, जिनमें से 18,43,143 लोगों की मौत हो गई है। संयुक्त राज्य अमरीका के बाद भारत दूसरा सबसे प्रभावित देश है, जहां कुल केस 1,03,40,469 पहुंच चुके हैं और मौत का आंकड़ा 1,49,649 पर है।
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