
जम्मू कश्मीर भूस्खलन में दिल्ली के बुराड़ी निवासी परिवार लापता।
Jammu Kashmir Landslide: धार्मिक आस्था और पारिवारिक अनुष्ठान को यादगार बनाने की योजना ने एक परिवार की ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल दी। दिल्ली के बुराड़ी निवासी राजा (40) और उनकी पत्नी पिंकी (30) ने अपने दो साल के बेटे अयांश का मुंडन संस्कार वैष्णो देवी यात्रा के साथ संपन्न कराने का फैसला लिया था। इसी के तहत 23 अगस्त को 16 सदस्यों का यह संयुक्त परिवार दिल्ली से रवाना हुआ। 29 अगस्त को वापसी का कार्यक्रम था, लेकिन यह यात्रा मौत का सफर बन गई।
दरअसल दिल्ली के बुराड़ी के रहने वाले 40 साल के राजा ने अपने परिवार के साथ वैष्णो माता मंदिर दर्शन करने की योजना बनाई थी। माता वैष्णो देवी के दर्शन के साथ ही राजा ने दो साल के बेटे अयांश का मुंडन भी वहीं कराने की योजना थी। 23 अगस्त को खुशी-खुशी 16 लोग माता वैष्णो देवी के दर्शन और बेटे के मुंडन के लिए जम्मू कश्मीर रवाना हुए थे, लेकिन यह सफर उसका अंतिम सफर बन गया। जम्मू में हुए भूस्खलन ने इस परिवार की खुशियों पर हमेशा के लिए ग्रहण लगा दिया।
इस यात्रा में राजा उनकी 30 साल की पत्नी पिंकी और दो बेटियां 9 साल की दीपांशी और 6 साल की आरोही, राजा के 49 साल के बड़े भाई अजय, मां राम कुमारी और राजा की दो सालियां सुमन और पूनम समेत 16 लोग शामिल थे। इस परिवार के लिए यह पहला बड़ा धार्मिक सफर था। बुज़ुर्ग मां और छोटी बच्ची को कठिन चढ़ाई से बचाने के लिए राजा ने पालकी की व्यवस्था की थी।
26 अगस्त को शाम ढलते ही त्रासदी घटी। जब राम कुमारी और आरोही पालकी में आगे बढ़ रही थीं, तभी पीछे चल रहे बाकी सदस्य भूस्खलन की चपेट में आ गए। अंधेरे और अफरातफरी में राम कुमारी को खबर मिली कि परिवार गायब हो गया है। होटल पहुंचकर उन्होंने फोन के जरिये दिल्ली में मौजूद अपने पोते यश को सूचना दी। राजा के भतीजे यश ने बताया कि फोन पर राजा की मां और उनकी दादी राम कुमारी ने रोते हुए कहा “बेटा मुझे कोई मिल नहीं रहा, यहां हादसा हो गया है।”
यश ने आगे बताया कि इससे पहले उन्हें हादसे की जानकारी थी, वह टीवी पर लगातार खबरें देखकर स्थिति भांपने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने चैनलों पर घायल सुमन और पूनम को देखा, जिनके सिर पर पट्टियां बंधी थीं। लेकिन परिवार के बाकी सदस्य लापता थे। दादी का फोन आने के बाद यश ने होटल मालिक से बात की। होटल मालिक ने यश को व्हाट्सएप पर मृतकों की सूची उपलब्ध कराई, लेकिन उसमें राजा और दीपांशी का नाम नहीं था। ऐसे में यश को थोड़ी उम्मीद बंधी कि उनके चाचा शायद जिंदा हैं, लेकिन अज्ञात शवों की लंबी सूची ने उन्हें एक बार फिर झटका दे दिया और वो चिंता में जम्मू के लिए रवाना हो गए।
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में यश ने बताया कि कटरा पहुंचने के बाद उन्हें अस्पतालों में भयावह अनुभव से गुजरना पड़ा। जीएमसी अस्पताल में उन्हें शवों की कतार के बीच एक-एक चादर हटाकर पहचान करनी पड़ी। पिंकी और दीपांशी को पहचानना आसान था, पर राजा की पहचान तब हुई जब यश ने उनके पैरों को देखा। सिर बुरी तरह क्षत-विक्षत था। यश ने कहा, “उनकी उंगलियां बचपन से ही थोड़ी चपटी थीं। उसी क्षण मुझे यकीन हो गया कि यह राजा ही हैं।”
अस्पतालों में जांच के बाद यह साफ हुआ कि पूरे परिवार में से केवल दो वर्षीय अयांश ज़िंदा है। वह आईसीयू में भर्ती है और हालत स्थिर बताई गई है। हालांकि, परिवार की उम्मीदें अब उसी की ओर टिकी हैं। हादसे के एक सप्ताह बाद भी बुराड़ी स्थित घर में मातम पसरा हुआ है। राम कुमारी सदमे और अपराधबोध से इतनी टूटी हुई हैं कि दवाओं के सहारे सोना ही उनकी आदत बन गई है। आरोही मासूमियत में समझ ही नहीं पा रही कि परिवार क्यों नहीं लौट रहा।
अजय का नया ई-रिक्शा जो महज़ एक महीने पहले लोन पर खरीदा गया था। घर के बाहर खड़ा है। परिजनों के अनुसार, लोन की किस्तें तो केवल आने वाली समस्याओं की एक छोटी झलक हैं। असल चुनौती उस बड़े शून्य से जूझना है, जो एक झटके में उनके जीवन में आ गया है। जो यात्रा धार्मिक अनुष्ठान और पारिवारिक उत्सव के लिए शुरू हुई थी, वह अब गहरे शोक की कहानी बन चुकी है। 16 में से ज्यादातर सदस्य अब नहीं रहे। दिल्ली का यह परिवार न सिर्फ अपने प्रियजनों से वंचित हो गया, बल्कि उनकी खुशियों की नींव भी बिखर गई।
Published on:
03 Sept 2025 05:16 pm
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