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नई दिल्ली

वीडियो जारी कर माकन ने कहा आठ साल में केजरीवाल कितना बदल गए

दिल्ली के शराब नीति घोटाले में अब कांग्रेस भी कूद गई है। कांग्रेस महासचिव अजय माकन ने सीधे तौर पर आम आदमी पार्टी के साथ भाजपा को भी इस घोटाले के लिए जिम्मेदार बताया। साथ ही पुराना वीडियो जारी कर माकन ने कहा कि आठ साल में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कितना बदल गए हैं।

नई दिल्लीAug 27, 2022 / 06:35 pm

Shadab Ahmed

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कांग्रेस महासचिव अजय माकन ने दिल्ली की शराब नीति को लेकर केजरीवाल सरकार पर करारा सियासी हमला बोला है। उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का 26 नवंबर 2014 का वीडियो जारी कर कहा कि आठ साल में केजरीवाल कितना बदल गए हैं।
माकन ने कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकार वार्ता में कहा कि आठ साल पहले केजरीवाल किसी रिहायशी इलाके में शराब ठेकों को लेकर अलग तरह की बाते करते थे। वह कहते थे कि यदि महिलाएं शराब के ठेके के खिलाफ एकसाथ प्रस्ताव पारित करें तो सरकार को ठेका बंद करके शिफ्ट करना होगा। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी का जन्म इंडिया एगेन्स्ट करप्शन के माध्यम से हुआ था और उस वक्त इन्होंने भ्रष्टाचार मुक्त करने के लिए लोकपाल लाने और स्वराज का वादा किया था। अब यह शराब घोटाला, स्वराज और भ्रष्टाचार दोनों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि आज शराब घोटाले की बात करते हैं, तो वो उसका जवाब नहीं देते हैं, बल्कि शिक्षा की बात करने लगते हैं। माकन ने कहा कि दिल्ली में करीब 460 शराब ठेके खोले गए हैं। इनमें से 90 प्रतिशत से ज्यादा आवासीय क्षेत्रों में है, जो मास्टर प्लान का उल्लंघन है। इस उल्लंघन पर भाजपा के अधीन नगर निगम और डीडीए सील कर सकती थी, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया।

केजरीवाल को सिसोदिया का इस्तीफा लेना चाहिए

माकन ने तंय किया कि कांग्रेस सरकार के समय केजरीवाल कहते थे कि जब तक मंत्री इस्तीफा न दे दे, तब तक जांच निष्पक्ष नहीं हो सकती। अब उन्हें डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया का इस्तीफा ले लेना चाहिए।
शराब माफिïयाओं के 144 करोड़ माफ
माकन ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार ने कोविड में नुकसान के नाम पर 144.36 करोड़ शराब माफियाओं के लाइसेंस फीस को माफ कर दिया। सरकार ने छोटे दुकानदारों के बिजली के फिक्स चार्जेस, निजी स्कूलों, किराएदारों के बिजली बिल तो माफ नहीं किए। इसके अलावा दुकान नहीं खोलने वालों की 30 करोड़ रुपए अमानत राशि भी माफ कर दी गई। शराब ठेकेदारों का मार्जिन ऑफ प्रॉफिट को 5 से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया। वहीं 1,870 करोड़ रुपए का राजस्व कम हो गया, जो सीधे-सीधे भ्रष्टाचार है।
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