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पद संभालते ही आया ‘अर्जेंट मामला’, नए सीजेआई बोले-एक दिन पहले बताइए, तब करेंगे विचार

Chief Justice Surya Kant: सुप्रीम कोर्ट में नए सीजेआई के पद संभालते ही एक अधिवक्ता ने इमरजेंसी बताकर एक मामला सामने रखा, लेकिन सीजेआई ने सूचीबद्ध करने से मना कर दिया। इसके साथ ही अधिवक्ता को चेतावनी भी दी।

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Supreme Court Chief Justice Surya Kant first hearing shocks lawyer in Delhi

भारत के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत। (फोटो- ANI)

Chief Justice Surya Kant: सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एक मामला उस समय चर्चा का विषय बन गया, जब नए सीजेआई ने शपथ ग्रहण के बाद कोर्ट रूम में अपनी कुर्सी संभाली। दरअसल, नए सीजेआई के कोर्टरूम में कुर्सी संभालते ही एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने उनके सामने एक मामला उठाकर अर्जेंट सुनवाई की अपील की। इसपर सीजेआई ने अधिवक्ता को दो टूक जवाब देते हुए मामले को सूचीबद्ध करने से ही इनकार कर दिया। यह मामला एक कैंटीन के ध्वस्तीकरण से जुड़ा था, जिसे अधिवक्ता ने तुरंत सुनवाई योग्य बताकर सीजेआई के सामने प्रस्तुत किया था।

पद संभालते ही सामने आया नया मामला

दरअसल, सोमवार को देश के कई ऐतिहासिक फैसलों में अहम भूमिका निभाने वाले न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने भारत के 53वें चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ली। यह पद न्यायमूर्ति बीआर गवई (B. R. Gawai) के रिटायरमेंट के बाद खाली हुआ था। अब भारत के नए चीफ जस्टिस सूर्यकांत लगभग 15 महीने तक इस पद पर कार्य करेंगे। सोमवार को अपना पद संभालने के बाद नए चीफ जस्टिस कोर्ट रूम में पहुंचे। इस बीच एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने एक कैंटीन के ध्वस्तीकरण के मामले को तुरंत सुनवाई योग्य बताते हुए मुख्य न्यायाधीश के सामने रखा। इस पर सीजेआई ने कहा कि अब से किसी भी मामले की अर्जेंट लिस्टिंग तभी होगी, जब एक दिन पहले रजिस्ट्री में पर्ची देकर अर्जेंसी का कारण बताया जाएगा। सिर्फ आरोपी की जमानत, मृत्युदंड या किसी व्यक्ति की आजादी पर तत्कालिक खतरे से संबंधित मामलों को ही तुरंत सुनवाई योग्य माना जाएगा।

चीफ जस्टिस की कार्यवाही बनी चर्चा का विषय

लाइव लॉ के अनुसार, भारत के नए मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत की यह कार्यवाही कुछ मिनटों में ही चर्चा का विषय बन गई। कार्यवाही शुरू होते ही वकील ने कैंटीन ध्वस्तीकरण के मामले को तुरंत सुनवाई योग्य बताकर चीफ जस्टिस के सामने रखा। इस दौरान मुख्य न्यायाधीश ने तत्कालता की परिभाषा बताते हुए कहा “सिर्फ जमानत, मृत्युदंड या किसी व्यक्ति की आजादी पर तत्कालिक खतरे के मामले तुरंत सुने जा सकते हैं। इसके अलावा सभी मामले एक दिन पहले पर्ची के जरिए रजिस्ट्री कार्यालय में दर्ज कराए जाएं। इसमें तत्कालता का कारण बताया जाए। इसकी जांच के बाद ही हम इसे सूचीबद्ध करेंगे।”

दीवानी से संबंधित मामला भी खारिज

इसके साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट सिर्फ उन्हीं मामलों में जल्दी सुनवाई कर सकता है, जिनमें आरोपी की जमानत, मृत्युदंड या किसी व्यक्ति की आजादी पर तत्कालिक खतरा शामिल होगा। इसके बाद एक दूसरे वकील ने एक सिविल (दीवानी) मामले को तुरंत सूचीबद्ध करने की मांग की। सीजेआई ने इस मामले को लेकर भी कहा “मैंने अभी एक मिनट पहले ही बताया है… इसका कोई तत्काल कारण है?” जब वकील कोई ठोस कारण नहीं बता सके तो बेंच ने सुनवाई से इनकार कर दिया और दूसरे मामलों की सुनवाई की ओर बढ़ गई।

कौन हैं नए चीफ जस्टिस सूर्यकांत?

भारत के नए मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत हरियाणा के हिसार जिले के मूल निवासी हैं। 10 फरवरी 1962 को उनका जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उन्होंने साल 1981 में रोहतक के राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद साल 1984 में रोहतक के ही महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय से लॉ स्नातक किया और हिसार की जिला अदालत में वकालत शुरू की। इसके बाद साल 1985 में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट चंडीगढ़ में वकालत शुरू की। साल 2000 में वह हरियाणा के सबसे युवा महाधिवक्ता बने। चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने साल 2011 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से कानून में स्नातकोत्तर उपाधि प्रथम श्रेणी में प्राप्त करने का गौरव भी हासिल किया। अब वह 9 फरवरी 2027 को 65 साल की उम्र पूरी करने के बाद चीफ जस्टिस के पद से रिटायर होंगे।


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