31 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

दिल्ली-एनसीआर के आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला, जज बोले-ये अंतरिम आदेश है…

Supreme Court Decision: मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा “ये अंतरिम निर्देश हैं। हमने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पक्षकार बनाया है। हमने इसे पूरे भारत में लागू किया है।

3 min read
Google source verification
Supreme Court Decision on stray dogs in Delhi-NCR

सुप्रीम कोर्ट। (फोटो- IANS)

Supreme Court Decision: देशभर में आवारा कुत्तों से जुड़ी लंबे समय से चल रही बहस पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम फैसला सुनाया। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अब पूरे देश के लिए एक समान नीति (National Policy) बनाई जाएगी, जिससे आवारा कुत्तों से जुड़ी समस्याओं का समाधान व्यवस्थित तरीके से किया जा सके। अदालत का कहना है कि बेतरतीब आदेशों के बजाय एकीकृत दिशा-निर्देश जरूरी हैं। ताकि इंसानों और जानवरों दोनों के अधिकार सुरक्षित रह सकें। इस दौरान सर्वोच्च अदालत ने साफ कर दिया है कि सभी कुत्तों को स्थायी रूप से शेल्टर होम में नहीं रखा जाएगा। अदालत ने कहा कि जिन कुत्तों का टीकाकरण (Vaccination) और बधियाकरण (Sterilization) किया जा चुका है। उन्हें वापस सड़कों या उनके प्राकृतिक वातावरण में छोड़ दिया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान क्या कहा?

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार सुबह करीब साढ़े दस बजे सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की तीन न्यायाधीशों की विशेष पीठ ने सुनवाई की। इस पीठ में न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया शामिल थे। उन्होंने ने इस मामले में सुनवाई पूरी करने के बाद 14 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था। शुक्रवार को पीठ ने अपना निर्णय सुनाते हुए कहा कि सिर्फ पकड़कर कुत्तों को शेल्टर में रखना व्यावहारिक और मानवीय समाधान नहीं है। इसके बजाय उनका समय पर टीकाकरण और बधियाकरण किया जाए तथा बाद में उन्हें छोड़ा जाए।

सुप्रीम कोर्ट की विशेष पीठ ने सुनाया फैसला

मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा “ये अंतरिम निर्देश हैं। हमने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पक्षकार बनाया है। हमने इसे पूरे भारत में लागू किया है। अन्य उच्च न्यायालयों में भी मामले लंबित हैं। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ: सभी समान मामलों को अंतिम राष्ट्रीय नीति के लिए इस न्यायालय को हस्तांतरित किया जाएगा। नगर निगम के अधिकारी पैरा 12, 12.1 और 12.2 का पालन करेंगे। आवारा पशुओं को कृमिनाशक दवा दी जाएगी। टीका लगाया जाएगा और उन्हें उसी क्षेत्र में वापस भेज दिया जाएगा। आक्रामक व्यवहार वाले या रेबीज से ग्रस्त कुत्तों का तुरंत टीकाकरण किया जाना चाहिए।”

11 अगस्त को दो सदस्यीय बेंच ने दिया था ये आदेश

दरअसल, 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय बेंच ने दिल्ली-एनसीआर की सड़कों से सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर स्थायी रूप से ‘डॉग शेल्टर्स’ में भेजने का आदेश दिया था। इस आदेश में दिल्ली और एनसीआर के प्रशासनिक अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि वे पूरे क्षेत्र से आवारा कुत्तों को पकड़ें और उन्हें शेल्टर में डालें। इतना ही नहीं, अदालत ने यह भी कहा था कि यदि कोई व्यक्ति कुत्तों को पकड़ने में बाधा डालता है तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।

कुत्तों को पकड़ने में बाधा बनने वालों पर भी कार्रवाई का निर्देश

11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय बेंच ने आदेश दिया था कि दिल्ली-एनसीआर की सभी सड़कों से आवारा कुत्तों को पकड़कर स्थायी रूप से डॉग शेल्टर्स में भेजा जाए। आदेश में कहा गया था कि कुत्तों को पकड़ने में बाधा डालने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस आदेश को कई संगठनों ने चुनौती दी और कहा कि यह व्यावहारिक नहीं है। 14 अगस्त को तीन सदस्यीय विशेष पीठ ने मामले की सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा। अब सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि सभी कुत्तों को शेल्टर होम में रखना जरूरी नहीं, बल्कि टीकाकरण और बधियाकरण के बाद उन्हें छोड़ा जाए। साथ ही पूरे देश के लिए एक समान नीति बनाई जाएगी।

नई व्यवस्था की जरूरत

इस आदेश के बाद कई पशु-प्रेमी संगठनों और नागरिकों ने इसे अमानवीय और अव्यावहारिक बताते हुए चुनौती दी थी। उनका कहना था कि सभी कुत्तों को स्थायी रूप से शेल्टर होम में रखना संभव नहीं है, क्योंकि न तो शेल्टर की क्षमता इतनी है और न ही यह कुत्तों के प्रति उचित व्यवहार है। इसी चुनौती पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की विशेष पीठ ने 14 अगस्त को फैसला सुरक्षित रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने नए आदेश में कहा है कि देशभर में एक समान नीति तैयार की जाए। इस नीति में कुत्तों के टीकाकरण, बधियाकरण, देखभाल और पुनर्वास के स्पष्ट प्रावधान होंगे। अदालत ने इस बात पर भी जोर दिया कि यह नीति संतुलित होनी चाहिए, ताकि लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके और जानवरों के साथ क्रूरता भी न हो।


बड़ी खबरें

View All

नई दिल्ली

दिल्ली न्यूज़

ट्रेंडिंग