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आरटीओ में एजेंट के अलावा दलाली वसूलने अधिकारी-बाबूओं के प्राइवेट लड़के सक्रिय

क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय में भले ही सारी प्रक्रियाएं ऑनलाइन कर दी हों, लेकिन यहां आज भी दलालों चांदी है। इसके अलावा कार्यालय के कुछ बाबूओं ने अपने प्राइवेट लड़के सक्रिय करके रखे हुए हैं जो लोगों से काम कराने के एवज में अवैध वसूली का काम करते हैं।

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सागर

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Madan Tiwari

Nov 13, 2024

- आरटीओ में नाम की फेसलेस सुविधा - हर छोटे-बड़े काम के लिए लग रही दलाली

सागर. क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय में भले ही सारी प्रक्रियाएं ऑनलाइन कर दी हों, लेकिन यहां आज भी दलालों चांदी है। इसके अलावा कार्यालय के कुछ बाबूओं ने अपने प्राइवेट लड़के सक्रिय करके रखे हुए हैं जो लोगों से काम कराने के एवज में अवैध वसूली का काम करते हैं। यह आरोप हम नहीं बल्कि आरटीओ कार्यालय में इस दलाली के फेर में फंसे लोग लगा रहे हैं। स्थिति यह है कि आरटीओ में लाइसेंस, नाम ट्रांसफर, परमिट, वाहन के उपयोग परिवर्तन से लेकर जितने भी छोटे-बड़े काम हैं हर चीज में दलालों के बिना काम होना संभव नहीं है। बिना दलालों के सीधे बाबू और अधिकारी के पास पहुंचने पर आपको काम के लिए मना नहीं किया जाएगा, लेकिन कागजों में कमी के साथ इतने नियम-कायदे बता दिए जाते हैं, जिनका पूरा होना संभव ही नहीं होता।

आरटीओ कार्यालय के अनुसार लर्निंग लाइसेंस के 425 रुपए के आसपास और लाइट व्हीकल चालकों के लिए 1100 रुपए के आसपास फीस लगती है, लेकिन आरटीओ में सक्रिय दलालों के फेर में पडऩे के कारण लोगों को लर्निंग बनवाने में 1000 रुपए से ज्यादा खर्च करने पड़ते हैं तो लाइट कराने में 2000 से 2500 रुपए लग रहे हैं। सबसे ज्यादा कमाई का खेल बड़े वाहनों की फिटनेस और परमिट तैयार करने में होता है। ऐसा नहीं है कि इस बात की शिकायत और जानकारी अधिकारियों तक नहीं पहुंचतीं, लेकिन इसके बाद भी न तो इस अवैध वसूली को रोका जा रहा है और न ही इसमें सलिप्त लोगों पर कार्रवाई की जा रही है।

- दो से तीन गुना वसूली

आरटीओ कार्यालय में मिले युवक वीरेंद्र ने बताया कि उसने पुरानी बाइक खरीदी है, जिसका रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर कराना है। फीस कितनी है यह तो पता नहीं, लेकिन जिस दलाल से काम करा रहे हैं उससे 3000 रुपए बात हुई है, जबकि कार्यालय के कर्मचारी बाइक ट्रांसफर का शुल्क 700 से 1500 के बीच बता रहे हैं। यानी आरटीओ में सक्रिय दलाल लोगों से दो से तीन गुना अवैध वसूली कर रहे हैं।

- 300 रुपए दिए तब फोटो हो पाई

गढ़ाकोटा क्षेत्र निवासी सीताराम कुर्मी ने बताया कि वह अपने दोस्त मोहन के साथ आरटीओ कार्यालय गए थे। लाइसेंस के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया करने के बाद फोटो खींची जानी थी। तीन घंटे बैठे, लेकिन काम नहीं हुआ। इसके बाद एक लड़के ने 300 रुपए दिए और आधे घंटे में सब काम हो गया।

- जांच कराएंगे

फिलहाल मैं अवकाश पर हूूं, अभी ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है। यदि लोगों से अतिरिक्त राशि वसूली हो रही है तो जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।

सुनील कुमार शुक्ला, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी