
Christmas wine tradition| (फोटो सोर्स- Freepik)
Christmas wine significance: दिसंबर का महीना आते ही चारों तरफ क्रिसमस की तैयारियां शुरू हो जाती है। जिंगल बेल्स की धुन और सांता क्लॉज के बीच, क्रिसमस का सबसे महत्वपूर्ण पार्ट चर्च में होने वाली विशेष प्रार्थना सभा होती है। आपने अक्सर देखा या सुना होगा कि क्रिसमस के मौके पर चर्च में अंगूर का जूस (Wine) चढ़ाई और बांटी जाती है। कई लोगों को यह केवल एक जश्न का हिस्सा लगता है, लेकिन असल में इसके पीछे ईसा मसीह के प्यार की एक इमोशनल कहानी छिपी है। आइए जानते हैं कि यह रस्म इतनी पवित्र क्यों मानी जाती है।
इस परंपरा का सीधा संबंध ईसा मसीह के जीवन की एक खास घटना से जुड़ा है, जिसे 'द लास्ट सपर' (The Last Supper) यानी 'आखिरी भोजन' कहा जाता है। ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाने से पहले, उन्होंने अपने साथियो के साथ आखिरी बार खाना खाया था। उस समय उन्होंने वाइन को सबके साथ बांटते हुए कहा था कि यह उनके 'खून' (blood) का सिम्बल है, जो वे लोगों की भलाई के लिए सैक्रिफाइस(sacrifice) करने वाले हैं। तभी से उनकी याद में चर्च में वाइन चढ़ाने की रस्म निभाई जाती है।
चर्च में दी जाने वाली रोटी और वाइन को 'प्रसाद' की तरह पवित्र माना जाता है। ईसाई धर्म में इसे 'होली कम्युनियन' कहते हैं। यहां रोटी को ईसा मसीह के 'शरीर' और शराब को उनके 'रक्त' के रूप में जोड़ा जाता है।वहीं यह रस्म सिखाती है कि भगवान ने हमारे दुखों को दूर करने के लिए खुद को सैक्रिफाइस(sacrifice) कर दिया था, और हमें भी दूसरों के प्रति दया भाव रखना चाहिए।
क्रिसमस पर वाइन चढ़ाने का असली मकसद मन की शांति और माफी है। यह याद दिलाता है कि ईसा मसीह ने हमें दूसरों को माफ करकर और नफरत को छोड़कर प्यार से रहना सिखाया है। जब चर्च में वाइन रखी जाती है, तो यह सेलिब्रेट करने के साथ खुद को अच्छा इंसान बनाने का एक प्रॉमिस भी होता है।
Published on:
24 Dec 2025 05:13 pm
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