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Bal Diwas Poems: इन कविताओं के बिना अधूरा है 14 नवंबर को Children’s Day

14 नवंबर को बाल दिवस (Bal Diwas) के तौर पर मनाया जाता है, इस दिन बच्‍चों के प्‍यारे चाचा नेहरू का जन्‍म हुआ था

नोएडाOct 22, 2018 / 03:39 pm

sharad asthana

Children's Day

Bal Diwas Poems: इन कविताओं के बिना अधूरा है 14 नवंबर को Children’s Day

नोएडा। 14 नवंबर को बाल दिवस (Bal Diwas) के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन बच्‍चों के प्‍यारे चाचा नेहरू का जन्‍म हुआ था। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का जन्‍म 14 November 1889 को हुआ था। उनको बच्‍चे प्‍यार से चाचाजी भी बुलाते थे। 1964 से पहले भारत में चिल्‍ड्रेन्‍स डे (Children’s Day) 20 नवंबर को मनाया जाता था। 20 नवंबर को पूरी दुनिया में यूनाइटेड नेशंस (United Nations) की तरफ से बाल दिवस (Children’s Day) मनाया जाता है। 1964 में जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद भारत में 14 नवंबर को बाल दिवस (Children’s Day) के तौर पर मनाया जाने लगा। इस दिन सभी स्‍कूलों में बच्‍चों को गिफ्ट और टाॉफियां बांटी जाती हैं। 14 November यानी बालदिवस (Children’s Day) के दिन स्‍कूलों में बच्‍चे कविताएं और स्‍पीच भी सुनाते हैं। ऐसे में हम आपको बाल दिवस (Children’s Day) की Hindi की कुछ Poem बता रहे हैं।
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Bal Diwas Poems in Hindi

बाल-दिवस है आज साथियो, आओ खेलें खेल ।

जगह-जगह पर मची हुई खुशियों की रेलमपेल ।

बरस-गांठ चाचा नेहरू की फिर आई है आज,
उन जैसे नेता पर सारे भारत को है नाज ।
वह दिल से भोले थे इतने, जितने हम नादान,
बूढ़े होने पर भी मन से वे थे सदा जवान।
हम उनसे सीखे मुसकाना, सारे संकट झेल।
हम सब मिलकर क्यों न रचाएं ऐसा सुख-संसार
भाई-भाई जहां सभी हों, रहे छलकता प्यार।
नहीं घृणा हो किसी हृदय में, नहीं द्वेष का वास,
आंखों में आंसू न कहीं हों, हो अधरों पर हास।
झगड़े नहीं परस्पर कोई, हो आपस में मेल।
पड़े जरूरत अगर, पहन लें हम वीरों का वेश,
प्राणों से भी बढ़कर प्यारा हमको रहे स्वदेश।
मातृभूमि की आजादी हित हो जाएं बलिदान,
मिट्टी मे मिलकर भी मां की रखें ऊंची शान।
दुश्मन के दिल को दहला दें, डाल नाक-नकेल।
बाल दिवस है आज साथियो, आओ खेलें खेल।
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कितनी प्यारी दुनिया इनकी,
कितनी मृदु मुस्कान।
बच्चों के मन में बसते हैं,
सदा, स्वयं भगवान।

एक बार नेहरू चाचा ने,
बच्चों को दुलारा।
किलकारी भर हंसा जोर से,
जैसे हाथ उठाया।

नेहरूजी भी उसी तरह,
बच्चे-सा बन करके।
रहे खिलाते बड़ी देर तक
जैसे खुद खो करके।
बच्चों में दिखता भारत का,
उज्ज्वल स्वर्ण विहान।
बच्चे मन में बसते हैं,
सदा स्वयं भगवान।

बच्चे यदि संस्कार पा गए,
देश सबल यह होगा।
बच्चों की प्रश्नावलियों से,
हर सवाल हल होगा।

बच्चे गा सकते हैं जग में,
अपना गौरव गान।
बच्चे के मन में बसते हैं,
सदा स्वयं भगवान।
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अल्लाह, ईसा और ईश्वर

गुरुनानक का रूप है इनमें
कच्ची मिट्टी जैसे होते
सच्चाई की धूप है इनमें।

जिस घर, आंगन नहीं है बचपन
फुलवा भी वहां नहीं महकते
चाहे बने हों कई घोंसले
नन्हे पंछी नहीं चहकते
अल्लाह, ईसा और ईश्वर
गुरुनानक का रूप है इनमें।
कहने को तो, ये सब बच्चे
लेकिन ये सब, सपन सलोने
आगे जाकर बनें सहारा
आज यहीं, हम सबके खिलौने
अल्लाह, ईसा और ईश्वर
गुरुनानक का रूप है इनमें।

बचपन की है बात निराली
बचपन की है छाप निराली
ऐसा कर दें सबका बचपन
हर दिन होली, रात दिवाली
अल्लाह, ईसा और ईश्वर
गुरुनानक का रूप है इनमें।
बाल दिवस पर कसम उठाएं
हर बच्चे में ईश जगाएं
यही कामना बाल दिवस पर
संस्कार हर रूप हो इनमें।
अल्लाह, ईसा और ईश्वर
गुरुनानक का रूप है इनमें।

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