
नोएडा। पूरे देश में लोग रंगों के पर्व होली की तैयारियों में जुट गए हैं। अब बस करीब नौ दिन बाद होली का त्यौहार का है। ट्रेनें भी फुल हाे चुकी हैं। इसके लिए रेलवे ने कुछ स्पेशल ट्रेनें भी चलाई हैं। इस बार होलिका दहन 1 मार्च जबकि दुल्हैंडी मतलब रंग खेलने का दिन का 2 मार्च को है। गाजियाबाद के चौधरी मोड़ स्थित मंदिर के पुजारी बद्री शर्मा का कहना है कि घर में सुख-शांति, समृद्धि व संतान प्राप्ति आदि के लिए महिलाएं होली की पूजा करती हैं। होलिका दहन के लिये कांटेदार झाड़ियों या लकड़ियों को इकट्ठा किया जाता है और फिर शुभ मुहूर्त में होलिका का दहन किया जाता है। उनका कहना है कि अगर शुभ मुहूर्त में यह पूजा की जाए तो आपकी किस्मत बदल सकती है।
फाल्गुन मास की पूर्णिमा को पड़ता है त्यौहार
उन्होंने बताया कि विक्रम सवंत हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा को आता है। होली बहुत ही उत्साह वाला त्योहार है और यह बसंत ऋतु के आने और सर्दियों के जाने का प्रतीक है। इस बार होलिका दहन 1 मार्च को है। इसका शुभ मुहूर्त शाम 6.16 से 8.47 तक रहेगा।
यह है शुभ मुहूर्त
होलिका दहन 1 मार्च
शुभ मुहूर्त- 18:16 से 20:47
भद्रा पूंछ- 15:54 से 16:58
भद्रा मुख- 16:58 से 18:45
दुल्हैंडी- 2 मार्च
पूर्णिमा तिथि आरंभ- 08:57 (1 मार्च)
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 06:21 (2 मार्च)
क्यों मनाते हैं होली
होली के साथ कई तरह की कहानियां जुड़ी हुई हैं। उन्हीं में से एक प्रहलाद और हिरण्यकश्यप की भी कहानी है। कथाओं के अनुसार, राजा हिरण्यकश्यप चाहता था कि हर कोई भगवान की तरह उसकी पूजा करे लेकिन उसके पुत्र प्रहलाद ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। प्रहलाद भगवान विष्णु के भक्त थे। इससे नाराज हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को कई बार मारने की कोशिश की लेकिन सफल न हो सका। फिर हिरण्यकश्यप और उसकी बहन होलिका ने योजना बनाई कि वह प्रहलाद के साथ चिता पर बैठेगी। पौराधिक कथाओं के अनुसार, होलिका के एक चमत्कारिक कपड़े की वजह से जल नहीं सकती थी लेकिन जैसे ही आग जली, वह कपड़ा उड़कर प्रहलाद के ऊपर चला गया। इस तरह प्रहलाद की जान बच गई और होलिका खत्म हो गई। तभी से होलिका दहन मनाने की परंपरा शुरू हो गई। फिर अगले दिन रंगो से होली खेली जाती है।
ये है लोकप्रिय
होली वैसे तो रंगों का त्यौहार है लेकिन इस अवसर पर बनने वाली मिठाइयां इसे अलग पहचान देते हैं। रंगों के इस त्यौहार की सबसे महत्वपूर्ण मिठाई है गुझिया। पहले तो यह हर घर में बनती थी लेकिन अब ज्यादातर लोग समय बचाने के लिए मिठाई की दुकानों से ही इसे ले लेते हैं। इसके अलावा ठंडाई, गोलगप्पे, दाल कचौरी, पापड़ी चाट, कचौरी, दही भल्ले, छोले भटूरे, कांजी बड़ा के अलावा अन्य कई तरह की नमकीन भी होली की मस्ती को दोगुना कर देते हैं।
Published on:
19 Feb 2018 11:24 am
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