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इस अस्पताल ने चार दिन के बच्चे का बनाया चार लाख का बिल

चार मार्च को अागरा के अस्पताल में हुर्इ बच्चे की मौत

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नोएडा

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Nitin Sharma

Mar 18, 2018

hospital news

नोएडा।दिल्ली के बाद नोएडा के प्राइवेट अस्पतालों द्घारा कुछ ही दिनों में भर्ती कर इलाज के नाम पर लाखों रुपये वसूलने का मामला एक बार फिर सामने आया है। इस बार एक पिता ने जेपी अस्पताल पर आरोप लगाते हुए पीएम से लेकर विदेशी मंत्री आैर सीएम को ट्वीट कर शिकायत दी है।उन्होंने अस्पताल पर इलाज के दौरान 14 दिनों में चार लाख रुपये वसूलने का आरोप लगाया है।उनका आरोप है कि इसके बाद भी उनके बच्चे की मौत हो गर्इ।

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आगरा से लाकर बच्चे को अस्पताल में कराया था भर्ती

आगरा निवासी अमित सिंह नेहरी के घर में जनवरी माह में बेटे ने जन्म लिया था। जन्म के चार दिन बाद ही उसकी तबियत बिगड़ गर्इ। इस पर उन्होंने अपने बच्चों को पास के ही एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया। वहां डाॅक्टरों ने उन्हें बताया कि उनके बच्चे को हृदय की बीमारी है। उसकी हालत बिगड़ने पर उन्होंने डाॅक्टर आैर रिश्तेदारों की सलाह पर नोएडा के जेपी अस्पताल में भर्ती कराया। यहां डाॅक्टरों ने 14 दिन में उनके बच्चे को अस्पताल में भर्ती कर चार लाख रुपये का बिल बना दिया। पीड़ित पिता ने आरोप लगाया कि डाॅक्टरों ने कोर्इ आॅपरेशन भी नहीं किया। इसके बावजूद इतना बड़ा बिल बना दिया। जो बिल्कुल गलत है।

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इतना रुपया लगाने पर भी नहीं बचा सके बच्चा

पीड़ित पिता का आरोप है कि अस्पताल में चार लाख रुपये देने के बाद आैर ज्यादा बिल न चुकाने की स्थिती में उन्होंने अपने बच्चे को यहां से निकाल लिया। इसके बाद उन्होंने आगरा के एक प्राइवेट अस्पताल में अपने बच्चे को भर्ती कराया। वहां उन्हें बताया गया कि बच्चे को पीलिया है, जिसकी वजह से 4 मार्च को बच्चे की मौत हो गई।

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ट्वीट कर सीएम से लेकर पीएम को दी शिकायत

वहीं परेशान पिता ने बच्चे की मौत के बाद अस्पताल पर ज्यादा बिल वसूलने का आरोप लगाते हुए मामले की शिकायत ट्वीट कर पीएम मोदी, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज , सीएम योगी आदित्यनाथ आैर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को दी। उन्होंने कहा कि अस्पताल में न तो कोर्इ आॅपरेशन किया गया आैर न ही कोर्इ बड़ा इलाज। इसके बावजूद अस्पताल ने चार लाख रुपये वसूल लिया।

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सभी अस्पतालों में इतना ही आता है खर्च

वहीं इस मामले में जेपी अस्पताल की तरफ से बताया गया कि बच्चे को 14 दिन तक एनआईसीयू में रखा गया था। इसकी वजह बच्चे की हालत बहुत ज्यादा नाजुक होना था। एनआर्इसीयू में रखने के दौरान बच्चे की देखभाल के लिए हमेशा डाॅक्टर से लेकर नर्स व अन्य स्टाॅफ की नजर बनी रहती है। इसके चलते यह खर्च आता है। किसी भी अस्पताल में एनआर्इसीयू का इतना ही खर्च होता है।