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मिसाल: अब भारतीय रेलवे ने बच्‍चों के लिए शुरू की ऐसी योजना, जानकर तारीफ करेंगे आप

भारतीय रेलवे ने शुरू की टिकट टू लाइफ योजना, इसके तहत गरीब बच्चों को खोजा जाएगा

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नोएडा। अब भारतीय रेलवे समाजसेवा का भी काम करेगी। वह गरीब बच्‍चों को ढूंढकर उनकी बेहतरी के लिए काम करेगी। दरअसल, अब रेलवे ट्रेन चलाने के साथ ही गरीब बच्चों को पढ़ाने और उन्हें स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने का भी काम करेगा। इसके लिए भारतीय रेलवे ने टिकट टू लाइफ योजना शुरू की है। इसके तहत गरीब बच्चों को खोजा जाएगा।

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वर्ल्ड आर्गनाइजेशन स्काउटिंग मूवमेंट रेलवे को उपलब्ध कराएगा फंड

इस योजना के लिए वर्ल्ड आर्गनाइजेशन स्काउटिंग मूवमेंट रेलवे को फंड उपलब्ध कराएगा। यह योजना देशभर में शुरू की जानी है। मुरादाबाद मंडल रेल प्रबंधक अजय कुमार सिंघल ने बताया कि यह योजना विश्व के और भी कई देशों में चल रही है। इस योजना के अंर्तगत ऐसे बच्चों को मुख्यधारा में लाना है, जो गरीब और अनाथ हैं। उनकी पढ़ाई-लिखाई और स्वास्थ्य का ध्यान भी इसी योजना के तहत रखा जाएगा। उन्‍होंने बताया कि इस योजना के विषय मे जानकारी देने के लिए फिलीपींस से दो ऑब्‍जर्वर आए थे। रेलवे स्काउट एंड गाइड का बड़ा ग्रुप चलता है, इसलिए नॉर्दर्न रेलवे को इस काम के लिए चुना गया है।

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स्‍टेशन परिसर के आसपास के बच्‍चों को भी किया जाएगा चिह्नित

उन्‍होंने बताया कि इस योजना के तहत रेलवे स्टेशन परिसर और उसके आसपास रहने वालों बच्चों को चिन्हित किया जाएगा, ताकि उन्हें गलत संगत में पड़ने से रोकने के साथ ही समाज कि मुख्यधारा में लाया जा सके। एक रिपोर्ट के मुताबिक, रेलवे स्टेशन परिसर में बड़ी संख्या में अनाथ और गरीब बच्चे भिखारियों और अपराधियों के चंगुल में फंस जाते हैं। पहले इन्हें नशे का आदी बनाया जाता है। धीरे-धीरे यही लत इन्हें अपराध कि दुनिया में ले जाती है। उनको सही राह दिखाना ही रेलवे का मकसद है।

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जीआरपी पहले ही उठा चुकी है सराहनीय कदम

पहले चरण में उन्हें चिन्हित करने के साथ उनके परिवार का डाटा जुटाया जाएगा और उन्हें परिवार तक पहुंचाया जाएगा। इसके बाद उनके लिए शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सेवाओं कि व्‍यवस्था भी होगी। हाल ही में कुछ इसी तरह का प्रयोग जीआरपी ने भी किया था। एसपी रेल सुभाष चंद्र दुबे ने स्टेशन परिसर में नशा करने वाले बच्चों को इकट्ठा कर उनसे पूछा था कि कौन पढ़ना चाहता है और कौन नशा छोड़ अपने घर वापस जाना चाहता है। तब कई बच्चों ने हामी भरी थी। अब खुद रेलवे का इस तरह का सकारात्मक कदम उठाना हजारों बच्चों के भविष्य को संवारने से कम नहीं है।

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