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कावंड़ मेले पर COVID-19 virus का साया, दूधेश्वरनाथ मंदिर में जलाभिषेक के स्थान पर हाेगी विशेष पूजा

गाज़ियाबाद में रावण के पिता द्वारा स्थापित भगवान दूधेश्वरनाथ के प्रसिद्ध मंदिर में इस बार नही लगेगा कावंड़ मेला। सावन में शिवरात्रि पर हरिद्वार और गंगोत्री से जल लाकर लाखों शिवभक्त यहाँ चढ़ाते हैं कावंड़।

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दूधेश्वरनाथ मंदिर

गाजियाबाद। प्रसिद्ध भगवान दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर में भी इस बार कोविड-19 महामारी का ग्रहण लग गया है। जिसके चलते हजारों वर्षों से चली आ रही परंपरा पर इस बार ब्रेक लगा है।

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इस महामारी को गंभीरता से लेते हुए उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार ने इस बार कावड़ यात्रा पर रोक लगा दी है। गाजियाबाद में हजारों साल पहले रावण के पिता ने दूधेश्वर नाथ मठ मंदिर समिति के ने भी यह निर्णय लिया गया है कि इस बार यहां कांवड़ मेला नहीं लगेगा। पहली बार ऐसा होगा, कि हजारों साल से चली आ रही परंपरा के बाद भी इस बार कांवड़ मेला नहीं लग पाएगा। खास बात यह है कि इस बार मंदिर में मंदिर के पुजारी के कोविड-19 महामारी को भगाने के उद्देश्य से विशेष पूजा अर्चना करेंगे। इस पूरे मामले की जानकारी देते हुए दूधेश्वर नाथ मंदिर के महंत एवं जूना अखाड़े के प्रवक्ता नारायण गिरी महाराज ने बताया कि भगवान दूधेश्वरनाथ मंदिर की स्थापना हजारों साल पहले रावण के पिता के द्वारा की गई थी ।

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रावण ने भी यहीं पर अपना पहला सर भगवान भोलेनाथ को चढ़ाया था। उन्होंने बताया कि इस मंदिर की हजारों साल से बेहद मान्यता है। इसलिए सावन में खासतौर से भोलेनाथ को खुश करने के लिए 15 से 20 लाख शिवभक्त हरिद्वार और गंगोत्री से जलाकर भगवान भोलेनाथ पर जलाभिषेक करते हैं। इस कोविड-19 महामारी के चलते पहली बार कांवड़ यात्रा यानी, इस मंदिर में लगने वाला कांवड़ मेला स्थगित किया गया है। इस बार सभी शिव भक्तों के तरफ से शिवरात्रि के दिन छोटे हरिद्वार से जल लाकर मंदिर समिति से जुड़े लोग और पुजारी ही भगवान भोलेनाथ पर जलाभिषेक करेंगे।