पुलवामा आतंकी हमले में शहीद प्रदीप कुमार के परिजनों ने बताया कि वह 2003 में सीआरपीएफ में भर्ती हुआ था। हाल ही में प्रदीप की पोस्टिंग श्रीनगर में थी। उसके परिवार में पत्नी कामिनी और दो बेटे सिद्धार्थ और दुष्यंत हैं, जो गाजियाबाद में रहते हैं। इसके अलावा अन्य परिजन शामली जिले के गांव में ही रहते हैं। प्रदीप के परिजनों ने बताया कि 8 फरवरी को प्रदीप चचेरे भाई की शादी के लिए छुट्टी लेकर आया था। इसके बाद 12 फरवरी को प्रदीप वापस ड्यूटी पर लौटा था। चचेरे भाई उमेश ने बताया कि गुरुवार को सुबह करीब 11 बजे प्रदीप का फोन आया था। उस वक्त प्रदीप ने कहा था कि वह अपनी ड्यूटी पर पहुंच गया है। इसके बाद सभी परिजन निश्चिंत हो गए थे, लेकिन शाम को जैसे ही उन्हें आतंकी हमले की खबर मिली तो वे परेशान हो उठे। यह देख उन्होंने प्रदीप को फोन किया तो इसके बाद फोन नहीं लग पाया। वे लगातार प्रदीप से संपर्क करने का प्रयास कर रहे थे। इसी दौरान रात करीब सवा 9 बजे बटालियन से अधिकारी का फोन आया कि प्रदीप शहीद हो गए हैं। यह सुनते ही परिवार में चीख-पुकार मच गई। वहीं जैसे ही प्रदीप के शहीद होने की खबर उसके दोस्तों और अन्य लोगों को लगी तो वे तुरंत घर पहुंचे और पीड़ित परिवार को सांत्वना दी। बताया जा रहा है कि प्रदीप का पार्थिव शरीर आज रात या शनिवार सुबह घर पहुंच सकता है।
यह भी पढ़ें- Pulwama attack: केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा, ईंट का जवाब पत्थर से दिया जाएगा इधर, प्रदीप के परिजनों को सांत्वना देने जिले के एसपी व जिलाधिकारी भी पहुंचे। इस दौरान प्रदीप के पिता जगदीश ने कहा कि उन्हें बेटे की शहादत पर गर्व है, लेकिन वे चाहते हैं कि मोदी सरकार उसकी शाहदत का बदला लेते हुए आतंकियों और पाकिस्तान को ऐसा सबक सिखाए की उनकी सात पीढ़ियां भी याद रखें। उन्होंने कहा कि मेरा बेटा बहुत ही बहादुर था।