
बसपा सुप्रीमो मायावती इस सीट से लड़ सकती हैं लोकसभा चुनाव
नोएडा। कर्नाटक में विपक्षी दल अपनी ताकत दिखा चुके हैं। कैराना व नूरपुर में भी भाजपा के खिलाफ सब एकजुट होकर ताकत दिखा रहे हैं। शुक्रवार को कांग्रेस भी उपचुनाव को लेकर रालोद व सपा गठबंधन के प्रत्याशी के साथ आ गई। अब बस एक बसपा बची है, जिसने इस मामले में कुछ भी साफ नहीं किया है। ऐसे में चर्चा है कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में मायावती फिर से मैदान में उतर सकती हैं। बता दें कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने पिछला लोकसभा चुनाव 2004 में लड़ा था।
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पैतृक जिले के पास से आजमा सकती हैं किस्मत
सियासी गलियारों में चर्चा चल रही है कि बसपा मुखिया मायावती 15 साल फिर से लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरेंगी। बताया जा रहा है कि 15 साल बाद वह अपने पैतृक जिले के पास में अपनी किस्मत आजमांएगी। उनके पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जनपद से चुनाव लड़ने की चर्चा हो रही है। बताया जा रहा है कि वेस्ट यूपी के बुलंदशहर से उनके चुनाव लड़ने की संभावना ज्यादा है क्योंकि यह अरक्षित सीट है। इसके अलावा यह उनके पैतृक जिले गौतमबुद्ध नगर से लगा हुआ है। साथ ही बुलंदशहर से लगे आगरा व हाथरस की लोकसभा सीटें भी आरक्षित हैं, जिसका असर बुलंदशहर में दिख सकता है। पश्चिमी यूपी में इस समय नगीना, आगरा, बुलंदशहर, हाथरस आदि आरक्षित सीटें हैं। हालांकि, इस बारे में कोई भी बसपा नेता कुछ बोलने काे तैयार नहीं है। बसपा नेता जोगिंदर अवाना का कहना है कि यह फैसला तो खुद बहन मायावती ही लेंगी। चर्चा चल रही है तो उसका वे कुछ नहीं कर सकते।
निगम चुनाव में किया अच्छा प्रदर्शन
वेस्ट यूपी से मायावती के चुनाव लड़ने की एक वजह यह भी बताई जा रही है कि निगम चुनावों में इस क्षेत्र में बसपा ने अच्छा प्रदर्शन किया था और मेरठ व अलीगढ़ की सीट पर कब्जा जमाया था। अलीगढ़ भी बुलंदशहर का पड़ोसी जिला है। इसके अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के शब्बीरपुर में ही हिंसा भी हुई थी, जिसके बाद दलित उत्पीड़न का बड़ा मुद्दा उठा था। दो अप्रैल को हुई हिंसा में भी बसपा के पूर्व विधायक योगेश वर्मा को जेल में डाल दिया गया। इससे भी बसपाई नाराज हैं।
15 साल पहले लड़ा था पिछला लोकसभा चुनाव
आपको बता दें कि मायावती ने पिछला लोकसभा चुनाव 2004 में अकबरपुर सीट से लड़ा था। यह सीट अब सामान्य श्रेणी में आती है। उसके बाद वह लोकसभा चुनाव के मैदान में नहीं उतरीं। इसकी जगह वह राज्यसभा और विधान परिषद का सदस्य बनकर सदन में बनी रहीं।
Published on:
25 May 2018 03:14 pm
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