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अजब-गजब: यूपी के इस शहर में मौजूद हैं डायनासोर के समय के पेड़

इन पेड़ों की आनुवंशिकी बदलते वातावरण के साथ खुद को उसमें ढाल लेती है, यही कारण है कि करोड़ों साल बाद भी इन पेड़ों ने अपना अस्तित्व बचाए रखा है।

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Dinosaur Time Tree

नोएडा। आज के समय में हम लोग डायनासोर युग को सिर्फ फिल्मों और कहानियों में ही देखते व सुनते हैं, लेकिन उस समय की चीजों को देखने का मौका शायद ही आपको कभी मिला होगा।, लेकिन अगर ऐसा हकीकत में हो जाए और आपको डायनासोर के समय के पेड़ देखने का मौका मिल जाए तो आप क्या कहेंगे? जी हां, ऐसा मुमकिन हो सकता है अगर आप नोएडा के बॉटेनिकल गार्डन का रुख करें तो। यहां डायनासोर युग की एक या दो नहीं, बल्कि तीन प्रजातियों के पेड़ बहुत करीब से देखे जा सकते हैं।

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दरअसल, नोएडा के सेक्टर-38ए स्थित बॉटेनिकल गार्डन ऑफ इंडियन रिपब्लिक में डायनासोर युग के तीन पेड़ों को विकसित किया गया है। इन तीनों पेड़ों के नाम गिंग्को विलोबा, साइकडेसिया और एक्यूजिटम हाइमेले हैं। यह तीनों ही पेड़ों की प्रजाति 'जीवित जीवाश्म' की श्रेणी में शामिल है। ये तीनों ही पौधे इस जलवायु में बेहतर तरीके से विकसित हो रहे हैं।

27 करोड़ साल पहले था अस्तित्व
बता दें कि नोएडा के बॉटिनिकल गार्डन में मौजूद इन पेड़ों का अस्तित्व अब से लगभग 27 करोड़ साल पहले हुआ करता था। वर्तमान में भारत के अलावा चीन, कोरिया, उत्तरी अमरीका और जापान में इन प्रजातियों के पौधे मौजूद हैं। बॉटेनिकल गार्डन के साइंटिस्ट इंचार्ज डॉ. शिओ कुमार ने बताया कि डायनासोर युग के शुरुआती समय में गिंग्को विलोबा की लंबाई 30 से 40 फीट तक होती थी, लेकिन अब आनुवंशिक विविधता में बदलाव होने के चलते इसकी लंबाई 5 से 7 फीट तक ही रहती है।

इस तरह के पेड़ों की आनुवंशिकी बदलते वातावरण के साथ खुद को उसमें ढाल लेती है, यही कारण है कि करोड़ों साल बाद भी इन पेड़ों ने अपना अस्तित्व बचाए रखा है। डॉ. शिओ ने बताया कि यहां मौजूद तीनों प्रजाति के पेड़ों पर शोध करने अलग-अलग कॉलेजों व संस्थानों के छात्र आते हैं। इसके अलावा यहां आकर विभिन्न स्कूलों के छात्र डायनासोर युग के पेड़ों के बारे में सुनकर इन्हें काफी दिलचस्पी से देखते हैं।

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परमाणु विस्फोट का नहीं हुआ था असर
डॉ शिओ बताते हैं कि जापान के हिरोशिमा में द्वितीय विश्व युद्ध के समय हुए परमाणु बम हमले के बाद भी वहां कुछ ही प्रजाति के पौधे जीवित बचे थे। जिनमें गिंग्को विलोबा प्रजाति का पेड़ भी शामिल था। इसी वजह से इस पेड़ को टोक्यो के आधिकारिक पेड़ का दर्जा दिया गया है। आज भी गिंग्को पेड़ की पत्ती ही टोक्यो का प्रतीक है।

क्या है जीवित जीवाश्म
गौरतलब है कि पृथ्वी पर मौजूद लाखों लाख वर्ष पुरानी प्रजाति के जीव या पेड़ पौधों की मौजूदगी वर्तमान में जीवाश्म के रूप में है। अगर ऐसे में उस समय की किसी प्रजाति से मिलती-जुलती प्रजाति के पौधे या जीव देखने को मिलते हैं तो उन्हें जीवित जीवाश्म कहा जाता है।