
बड़ी खबर: इस वजह से कांग्रेस और सपा से अलग हुईं मायावती
नोएडा। कांग्रेस ने डीजल और पेट्रोल की बढ़ती कीमतों को देखते हुए सोमवार को भारत बंद का ऐलान किया था। कांग्रेस के साथ समाजवादी पार्टी (सपा) और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) समेत कई विपक्षी दल भी थे। पहले इसमें बहुजन समाज पार्टी के शामिल होने की भी उम्मीद जताई गई थी लेकिन बंद के दौरान पार्टी कार्यकर्ता इससे दूर रहे। इसके बाद सियासी गलियारों में हलचल मच गई है।
कांग्रेस ने किया था भारत बंद का ऐलान
सोमवार को कांग्रेस ने भारत बंद का ऐलान किया हुआ था। इसके लिए उसे कई दलों का समर्थन भी मिला था। इसको महागठबंधन की एकता से भी जोड़कर देखा गया। कहा जा रहा था कि इसके जरिए कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल भाजपा को अपनी ताकत दिखाना चाहते हैं। गैर भाजपाई दलों का यह भारत बंद कहीं पर असरदार तो कहीं बेअसर साबित हुआ। मेरठ की बात करें तो यहां भी मुस्लिम बहुल इलाकों में बंद का असर देखा गया। इस निजी बसें बंद होने से यात्री भी परेशान हुए। कांग्रेसियों के साथ ही सपाई भी बंद के दौरान विरोध-प्रदर्शन में लगे रहे।
कांग्रेस के साथ नहीं दिखा बसपा का कोई भी नेता
वहीं, बसपा भाजपा सरकार के खिलाफ इस बंद से दूर रही। बसपा का कोई भी नेता वेस्ट यूपी में कांग्रेस के साथ खड़ा नहीं दिखाई दिया। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। कैराना व नूरपुर उपचुनाव में भी बसपा ने सपा व रालोद के संयुक्त प्रत्याशी से दूरी बनाकर रखी थी। बसपा के मेरठ जिलाध्यक्ष सुभाष प्रधान का कहना है कि पार्टी हाईकमान से बंद में शामिल होने के कोई निर्देश नहीं मिले थे। इसके पीछे सीटों के बंटवारे को कारण बताया जा रहा है। चर्चा है कि सीटों के बंटवारे का पेच अब भी फंसा हुआ है। इसको लेकर महागठबंधन में बसपा की भूमिका को लेकर अब भी सस्पेंस बना हुआ है। बंद में शामिल न होने के बाद अब सियासी हलकों में महागठबंधन पर सवाल उठने लगे हैं।
Published on:
11 Sept 2018 12:47 pm
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