
नोएडा. कल यानी मंगलवार को शनि जयंती मनाई जाएगी। इस बार शनि जयंती के साथ वटसावित्री अमावस्या और भौमवती अमावस्या होने से सर्वार्थसिद्धि योग का दुर्लभ संयोग भी बन रहा है। ज्योतिषाचार्य पंडित चंद्रशेखर शर्मा बताते हैं कि मंगल के उच्च राशि में रहते हुए शनि जयंती 205 साल पहले यानी 30 मई 1813 में आई थी। इस दिन शनि की कुदृष्टी से बचने और शनि महाराज की कृपा पाने के लिए विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस वर्ष का शनि जयंती पर भाग्योदय के योग भी बन रहे हैं।
इस पर्व का लाभ लेने के लिए सर्वप्रथम स्नानादि से शुद्ध होकर एक लकड़ी के पाट पर काला कपड़ा बिछाकर उस पर शनि महाराज की प्रतिमा या फोटो या एक सुपारी रख उसके दोनों ओर तेल का दीपक जलाकर धूप जलाएं। इस शनि स्वरूप के प्रतीक को जल, दुग्ध, पंचामृत, घी, इत्र से स्नान कराकर उनको इमरती, तेल में तली वस्तुओं का नैवेद्य लगाएं। नैवेद्य के पूर्व उन पर अबीर, गुलाल, सिंदूर, कुंकुम एवं काजल लगाकर नीले या काले फूल अर्पित करें। नैवेद्य अर्पण करके फल व ऋतु फल के संग श्रीफल अर्पित करें। शनि की साढ़ेसाती, शनि की ढैया या कुंडली में शनि की महादशा या अंतर्दशा की खराब स्थिति के कारण पीड़ित लोगों के जीवन में खुशी जरूर लौटेगी।
1. पूजन के बाद ॐ प्रां प्रीं प्रौ स. शनये नमः॥ मंत्र का जाप करते हुए कम से कम एक माला पूरी करें।
2. माला पूर्ण करके शनि देवता को समर्पित करें। इसके बाद आरती करके उनको साष्टांग प्रणाम करें।
3. सूर्योदय से पूर्व शरीर पर तेल मालिश कर स्नान करें।
4. हनुमानजी के मंदिर के दर्शन अवश्य करें।
5. पूर्णत: ब्रह्मचर्य का पालन करें।
6. पौधारोपण करें।
7. यात्रा को टालें।
8. तेल में बनी खाद्य सामग्री का दान काली गाय, काले कुत्ते व जरूरतमंदों को करें।
9. विकलांग व बुजुर्गों की सेवा करें।
10. शनि महाराज व सूर्य-मंगल से शत्रुतापूर्ण संबंध होने के कारण इस दिन सूर्य व मंगल की पूजा नहीं करें।
Published on:
14 May 2018 09:37 am
बड़ी खबरें
View Allनोएडा
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
