27 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

PersonOfTheWeek: इस 86 साल की दादी के सामने बड़े-बड़े शूटर हो गये फेल, अब जीवन पर बनी फिल्म

Highlights पोती को रेंज में प्रैक्टिस के दौरान पहली बार थामी बंदूक 17 सालों में दादियों ने जीती 25 नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप अब जीवन पर आधारित फिल्म हुई रिलीज सांड की आंख

2 min read
Google source verification

नोएडा

image

Nitin Sharma

Oct 25, 2019

नाेएडा। 25 अक्तूबर को थिएटर पर रिलीज हो रही फिल्म सांड की आंख (shooter dadi) शूटर दादी के नाम से मशहूर प्रकाशो और चंद्रो तोमर पर आधारित है। आपको बता दें कि चंद्रो और प्रकाशो दोनों देवरानी और जेठानी हैं। 86 साल की दादी प्रकाशो और चंद्रो तोमर ने लंबे उम्र में निशानेबाजी में नाम रोशन किया है। शूटर दादी प्रकाशों तोमर बागपत के जोहड़ी गांव की रहने वाली है। प्रकाशो शूटर बनने की कहानी भी काफी दिलचस्प है। उनकी इसी कहानी को बाॅलीवुड (Bollywood) की सांड की आंख फिल्म में दर्शाया गया है।

इस जानवर के बालों से बनाया जा रहा ब्रश, कही आप भी तो नहीं कर रहे इस्तेमाल- देखें वीडियो

पोती को रेंज में ले जाती थी प्रकाशी और चंद्रो तोमर

आज शूटर दादी के नाम से मशहूर प्रकाशो तोमर ने बताया कि वह अपनी पोती को गांव के डॉ. राजपाल की शूटिंग रेंज में (shooting) शूटिंग सीखने ले जाती थीं। इस दौरान ये दोनों दादी भी अपनी पोतियों के साथ रहती थी। एक दिन पोती ने कहा- दादी आप भी निशाना लगा कर देखो। प्रकाशो ने भी सटीक निशाने लगाए। इसके बाद से ही दोनों का शूटिंग का सफर शुरू हुआ। 1999 से लेकर 2016 के बीच दादियों ने 25 नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप (National Shooting Championship ) जीती है।

धनतेरस पर योगी सरकार ने बच्चियों को दिया बड़ा तोहफा, सभी को मिलेंगे 15 हजार रुपये

सभी के सोने के बाद बर्तन में पानी भरकर करती थी प्रैक्टिस

दादी के मुताबिक, शूटर दादी (Shooter Dadi) रात को प्रैक्टिस किया करती थी। दरअसल रात में जब सब सो जाते थे। तब दोनों देवरानी-जिठानी पानी से भरे जग सामने रखकर घंटों प्रैक्टिस किया करती थीं। इसी कड़े अभियास के बाद शूटर दादी प्रकाशों तोमर ने एक शूटिंग प्रतियोगिता में दिल्ली के डीआईजी को हराकर गोल्ड मेडल जीता था। दादियों ने इंटरव्यू में बताया कि उन्हें गांव वाले कारगिल के ताने दिया करते थे। दरअसल गांव वाले कहते थे कि-बुढिय़ा इस उम्र में कारगिल जाएगी क्या? आज शूटर दादी द्वारा ट्रेंड किए गए बच्चे आज नेशनल लेवल की शूटिंग प्रतियोगिता जीत चुके हैं। जोहड़ी गांव, बागपत से (Bollywood) बॉलीवुड का सफर के बारे जब उनसे पूछा तो उन्होंने कहा कि अच्छा लगता जब लोग सम्मान देते है।