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नोएडा

सुपरटेक ट्विन टावर : सुप्रीम कोर्ट ने दिए फ्लैट खरीददारों को दी राहत

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट ट्विन टावर को गिराने का आदेश दिया था। ये दोनों ही टावर 40-40 मंजिला के हैं।

नोएडाJan 22, 2022 / 03:08 pm

Nitish Pandey

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सुपरटेक ट्विन टावर में फ्लैट खरीदने वाले लोगों को सुप्रीम कोर्ट ने राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुपरटेक बिल्डर को ऑर्डर दिया कि वह एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के 40 मंजिला ट्विन टावरों में घर खरीदने वालों को उनकी राशि ब्याज सहित 28 फरवरी तक वापस करे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक लिमिटेड को नोएडा में एमराल्ड कोर्ट परियोजना के दो 40-मंजिले टावर को ध्वस्त करने का आदेश दिया था।
सुपरटेक के फॉर्मूले को कोर्ट ने किया खारिज

इस मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी की पीठ ने घर खरीदारों की अवमानना याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया। साथ ही कोर्ट ने सुपरटेक की तरफ से रिफंड राशि को लेकर सुझाए गए फॉर्मूले को खारिज कर दिया और कहा कि एमिकस क्यूरी गौरव अग्रवाल की तरफ से सुझाए गए गणना फार्मूले के आधार पर धनराशि दी जाए।
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प्राधिकरण ने बिल्डर को बताया जिम्मेदार

नोएडा प्राधिकरण का कहना है कि ट्वीन टावर कैसे तोड़े जाएंगे इसे लेकर बिल्डर ने कोई प्रस्ताव बनाकर पेश नहीं किया है। वहीं बिल्डर का आरोप है कि उसने इस संबंध में तीन कंपनियों और एक कंसलटेंट का नाम प्राधिकरण को सौंप दिया है।
प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया था अनुपालन रिपोर्ट

नोएडा प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट में अनुपालन रिपोर्ट दाखिल कर दिया है। प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि सीबीआरआई से संपर्क कर टीम बुलाई गई। कई बैठकें प्राधिकरण ने करवाईं। बिल्डर से पत्राचार किया गया। बिल्डर को एजेंसियों से टावर तोड़ने की कार्ययोजना प्रस्तुत करने के लिए कहा गया। लेकिन, बिल्डर कार्ययोजना ही नहीं दे पाया। बिल्डर हर बार समय ही मांगता रहा। इस प्रकार प्राधिकरण की सभी कोशिशों के बाद भी टि्वन टावर नहीं टूट पाया।
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सुप्रीम कोर्ट ने दिया था टावर को गिराने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट ट्विन टावर को गिराने का आदेश दिया था। ये दोनों ही टावर 40-40 मंजिला के हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ये टावर नोएडा विकास प्राधिकरण और सुपरटेक बिल्डर की मिलीभगत से बने थे।
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