
खंडवा. गुरु पूर्णिमा पर्व के लिए चादर पैकिंग की सेवा करतीं महिलाएं।
श्री दादाजी धाम संभवत: पूरे देश में एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां अवैतनिक रूप से स्वेच्छा से सेवा होती है। अपने गुरु की सेवा के लिए हर सेवादार बिना किसी आदेश, ड्यूटी रोस्टर, बिना वेतन के सेवा में लगा नजर आता है। श्री दादाजी धाम के सेवादार बिना किसी से कुछ कहे चुपचाप सेवा में लगे रहते है।
श्री दादाजी धाम में सेवा का यह सिलसिला बड़े दादाजी महाराज के समाधिस्थ होने के बाद से छोटे दादाजी महाराज के सानिध्य में वर्ष 1931 में शुरू हुआ जो आज तक जारी है। छोटे दादाजी महाराज के समय तो राजा महाराजा, मालगुजार तक यहां सेवा के लिए आते रहे हैं। आज भी श्री दादाजी दरबार में छोटे-बड़े, अमीर-गरीब का कोई भेद नहीं है। यहां आकर स्वेच्छा से सेवा करने वाला हर व्यक्ति सिर्फ दादाजी महाराज का सेवादार है। श्री दादाजी धाम में 24 घंटे सेवादार मौजूद रहते है। सेवादार आते हैं, सेवा करते है और चले जाते है। सेवादार अपनी सेवा खुद चुनते हैं, उनके लिए कोई ड्यूटी भी तय नहीं करता है।
पर्व पर 1200 से ज्यादा सेवा में रहते
यूं तो सालभर 24 घंटे दादाजी धाम में करीब सवा सौ सेवादार रोजाना पहुंचकर अपनी सेवा देते है। कोई चार घंटे तो कोई छह घंटे सेवा में रहता है। इसमें अधिकारी, कर्मचारी, नेता, बिजनेसमैन, दुकानदार, आमजन भी सेवा के लिए पहुंचते है। श्री दादाजी धाम में तीन दिवसीय गुरु पूर्णिमा पर्व पर सेवादारों की संख्या करीब 1200 तक पहुंच जाती है। 23 अलग-अलग सेवा समितियों में सेवा देने वालों में विभिन्न संस्थाओं, संगठनों से लेकर स्काउट-गाइड, एनसीसी, एनएसएस के विद्यार्थी भी शामिल होते है।
Published on:
27 Jun 2025 11:41 am
बड़ी खबरें
View Allसमाचार
ट्रेंडिंग
