
राजनीतिक संरक्षण से ही मिल रहा है भ्रष्टाचार को बढ़ावा
संदीप पुरोहित
भ्रष्टाचार की जड़े इतनी गहरी हैं कि भ्रष्ट कारिंदो की काली कमाई का अंदाजा लगाना मुश्किल होता जा रहा है। राज्य सरकार भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टोरलेंस की बात जब-जब जोर-शार से करती है तब-तब ही भ्रष्ट सरकारी कारिंदे सरकार की मंशा को धता बताते नजर आते हैं। अफसर ही नहीं बल्कि निचले स्तर के कार्मिकों को भी ऐसी शह मिली हुुई है कि साल-दर-साल उनके पास से काली कमाई का अकूत खजाना ऐसे निकलता है जैसे भ्रष्ट तंत्र को कानून का कोई डर नहीं रह गया।
भ्रष्टाचार की जड़े इतनी गहरी हो चुकी हैं कि काली कमाई का अंदाजा लगाना मुश्किल होता जा रहा है। जयपुर में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की कार्रवाई में सूचना प्रौद्योगिकी विभाग की निलम्बित सूचना सहायक प्रतिभा कमल के पास 650 करोड़ रुपए की और जयपुर डिस्कॉम के सहायक लेखाधिकारी दीपक कुमार गुप्ता के पास 2 करोड़ 15 लाख रुपए की अघोषित सम्पत्ति मिलना इस बात का प्रमाण है कि भ्रष्टाचार किस कदर तक गहरी जड़े जमा चुका है। जहां चांदी की खनक सुनाए बिना कोई काम नहीं होता हो वहां आमजन के हितों से जुड़े काम में कितनी अड़चनें आती होगी इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
सिस्टम में भ्रष्टाचार की जड़े उस वक्त और मजबूत होती है जब राजनेता भी भ्रष्ट तंत्र को संरक्षण देते दिखते हैं। सडक़ों के घटिया निर्माण को लेकर इंजीनियरों व ठेकेदारों के गठजोड़ की बात तो खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर चुके हैै। भ्रष्टों के खिलाफ शिकायत के लिए एसीबी ने टोल फ्री नम्बर जारी कर रखे हैं। पर अपने काम अटकने के डर से आम आदमी इनकी शिकायत तक करने का साहस नहीं जुटा पाता।
जयपुर निलम्बित सूचना सहायक प्रतिभा कमल के पास बीएमडब्ल्यू सहित लग्जरी कारें, 650 करोड़ रुपए की सम्पत्ति, 22 लाख रुपए, एक किलो तीन सौ ग्राम सोना और जयपुर डिस्कॉम के एएओ दीपक कुमार गुप्ता के पास 16 करोड़ 31 लाख रुपए की अघोषित संपत्ति, बैंक में 2 करोड़ 15 लाख रुपए, 36 किलो चांदी, एक किलो तीन सौ ग्राम चांदी, 14 लाख रुपए, दो लग्जरी कारें मिलना तो बानगी भर है। हर सरकारी महकमे में भ्रष्टाचारी अफसर भरे पड़े हैं जिन्होंने अकूत काली कमाई अर्जित कर रखी है।
चिंता की बात यह है कि सब कुछ सामने होने के बावजूद इसी काली कमाई के बूते पर भ्रष्टाचारी बच निकलते हैं। राज्य सरकार बरसों तक अभियोजन स्वीकृति नहीं देती। ठोस कार्रवाई किए बिना भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं करने का दावा दिखावा ही है।
Published on:
08 Dec 2022 12:15 pm
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