
child abuse
- रुचिरा गुप्ता, सामाजिक कार्यकर्ता
लोकसभा में पिछले सप्ताह पेश मानव तस्करी (रोकथाम, सुरक्षा और पुनर्वास) विधेयक, 2018 के तहत संभव है कि देश के 1.6 करोड़ यौनकर्मियों को कोई राहत न मिल पाए। संभव है कि उन्हें इस काम में धकेलने वाले बच कर निकल जाएं। विधेयक की भाषा और प्रावधानों में व्याप्त अस्पष्टता मनमानी व्याख्या के लिए पर्याप्त गुंजाइश छोड़ती है।
विधेयक का उद्देश्य वक्तव्य है- ‘मानव तस्करी यौन या दैहिक शोषण के लिए की जा सकती है।’ इसमें न तो पारिभाषिक खंड है और न ही आपराधिक प्रावधानों में ‘यौन शोषण’ को विशिष्ट रूप से दर्ज किया गया है। ऐसा करना अंतरराष्ट्रीय बाध्यताओं का उल्लंघन है क्योंकि भारत मानव तस्करी रोकने से संबंधित पलेर्मो संधि में शामिल है। विधेयक में यौन तस्करी की परिभाषा के संबंध में आइपीसी की धारा 370 का जिक्रअवश्य है। पारिभाषिक खंड में यौन शोषण को अलग से परिभाषित करने के बजाय दूसरे कानून से संदर्भ लेकर यह विधेयक अस्पष्टता को जन्म देता है।
विधेयक तस्करी के मामलों की पड़ताल और स्वयंसेवी संस्थाओं व कानून अनुपालक एजेंसियों के बीच समन्वय के नाम पर नेशनल एंटी-ट्रैफिकिंग ब्यूरो का गठन प्रस्तावित करता है। इससे पीडि़तों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के विरुद्ध इसके दुरुपयोग की आशंका बढ़ जाती है।
तस्करी के शिकार लोग ज्यादातर दलित, आदिवासी, अधिसूचित जनजातियों, समलैंगिकों, एलजीबीटी और अन्य अल्पसंख्यक समूहों से आते हैं। उनकी लैंगिकता/जाति/यौनिकता के आधार पर असमानता को संज्ञान में न लेकर विधेयक तस्करी का दोष ‘गरीबी, निरक्षरता और आजीविका के साधनों के अभाव’ पर मढ़ता है। यह संयुक्त राष्ट्र प्रोटोकॉल में शामिल बाध्यताओं का उल्लंघन है।
सबसे बड़ी आशंका यह है कि विधेयक में दिए उद्देश्य के हिसाब से मानव तस्करी के मौजूदा 1.6 करोड़ शिकार व्यक्तियों को तस्करी पीडि़तों की सरकारी सूची में रखा भी जा सकता है और नहीं भी। दरअसल, विधेयक के प्रावधानों और भाषा की अस्पष्टता के बहाने सरकार मानव तस्करी के आंकड़ों से वैसे ही खिलवाड़ कर सकती है जैसा उसने 2016 में बाल श्रम कानून में संशोधन के तहत किया था, जब घरेलू उद्यमों और दृश्य-श्रव्य मनोरंजन में लिप्त बच्चों को बाल श्रम की श्रेणी से बाहर निकाल दिया गया था। फिर सरकार बड़ी आसानी से दावा कर सकेगी कि मानव तस्करी में गिरावट आई है जबकि हकीकत इससे उलट होगी।

Published on:
30 Jul 2018 04:44 pm
बड़ी खबरें
View Allओपिनियन
ट्रेंडिंग
