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पाक ने भारत-अमरीका सहित मिडिल ईस्ट को दिया बड़ा संकेत

डॉ. एन.के. सोमानी, अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार

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ऑपरेशन सिंदूर में भारत के हाथों बुरी तरह से पीट चुका पाकिस्तान अब अपनी रक्षा और सुरक्षा के लिए सैन्य समझौतों की रणनीति पर आगे बढ़ रहा है। सऊदी अरब के साथ किया गया स्ट्रैटेजिक म्यूचुअल डिफेंस एग्रीमेंट उसी रणनीति का हिस्सा है। हालांकि पाकिस्तान इससे पहले अमेरिका के नेतृत्व वाले समझौतों और गठबंधनों का हिस्सा रहा है, लेकिन सऊदी अरब के साथ हुआ समझौता उस बाध्यकारी खंड के कारण अहम हो जाता है, जिसमें कहा गया है कि दोनों देशों में से किसी के भी खिलाफ किसी भी तरह के हमले को दोनों पर किया गया आक्रमण माना जाएगा। समझौते की शब्दावली इस तरह से नाटो के धारा-5 की क्लॉज़ जैसी है, जिसमें कहा गया है कि अगर किसी देश पर हमला होता है तो सभी सदस्य देशों पर हमला माना जाएगा और सभी सदस्य उससे अपनी तरह से निपटेंगे।

यही वजह है पाकिस्तान-सऊदी अरब सुरक्षा समझौते को मिडिल ईस्ट में नाटो के आरम्भ जैसा माना जा रहा है। पाकिस्तानी मीडिया का दावा है कि जल्दी ही कुछ और देश भी समझौते पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। भारत ने समझौते पर सधी हुई प्रतिक्रिया दी है। भारत का कहना है कि वह क्षेत्रीय स्थिरता पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन करेगा। दरअसल ऑपरेशन सिंदूर में भारत के हाथों पीटने के बाद पाकिस्तान की विदेश नीति एक बार फिर उस आधार वाक्य के इर्द-गिर्द घूमती दिख रही है जिसमें कहा गया है कि पाकिस्तान को सोते-जागते भारत का भूत नजर आता है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद उसका शीर्ष नेतृत्व लगातार इस बात की कोशिश करता दिखाई दे रहा है कि वह किसी न किसी तरह भारत को दुनिया के अन्य देशों से अलग-थलग कर दे। पाक नेताओं और फील्ड मार्शल असीम मुनीर के विदेश दौरों का सिलसिला पाकिस्तान की इस कोशिश का ही परिणाम है। हालाँकि समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद सऊदी अरब ने कहा है कि भारत के साथ हमारे मजबूत संबंध हैं, हम संबंधों को आगे बढ़ाते रहेंगे। यह समझौता किसी खास देश या घटना के प्रति प्रतिक्रिया नहीं है बल्कि दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक और गहन सहयोग का संस्थागत रूप है।

सवाल यह है कि ऑपरेशन सिंदूर 2.0 होता है तो ऐसी स्थिति में सऊदी क्या करेगा? क्या पाकिस्तान के खिलाफ भारत की कार्रवाई को सऊदी अरब अपने ऊपर हुए हमले के रूप में देखेगा और पाकिस्तान को भारत के खिलाफ मदद देगा। माना जा रहा है कि सऊदी सीधे तौर पर भारत पर हमला नहीं करेगा, लेकिन जिस तरह से यूरोप के देश यूक्रेन को सैन्य मदद दे रहे हैं, उसी तरह सऊदी भारत के खिलाफ पाकिस्तान को सैन्य मदद दे सकता है। सऊदी अरब की सेना भले ही छोटी हो, लेकिन उसके जखीरे में अमेरिका, चीन और रूस से खरीदे हुए अत्याधुनिक हथियार हैं। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन, तुर्की और अज़रबैजान ने खुलकर पाकिस्तान का समर्थन किया था। अब पाकिस्तान ने सऊदी के साथ पैक्ट कर भारत-अमेरिका सहित मिडिल ईस्ट को बड़ा संकेत दे दिया है। ऐसे में भारत को स्ट्रैटेजिक म्यूचुअल डिफेंस एग्रीमेंट को गंभीरता से लेना होगा और बदलती भू-राजनीतिक स्थिति को साधने के लिए अपनी सैन्य क्षमता और बढ़ानी होगी।