
PM इमरान को लगा बड़ा झटका, ATC ने आतंकी हाफिज सईद समेत 4 को दी अग्रिम जमानत
इस्लामाबाद। आतंकी सगंठन जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफिज सईद ( Hafiz Saeed ) को बड़ी राहत मिली है। पाकिस्तान की एक आतंकवाद विरोधी अदालत ( anti-terrorism court ) ने लाहौर में सोमवार को हाफिज सईद को एक मामले में गिरफ्तारी से पहले ही जमानत दे दी।
अपनी मदरसा के लिए भूमि के अवैध उपयोग से संबंधित मामले में हाफिज सईद के साथ-साथ अन्य तीन लोगों को भी अदालत ने जमानत दी है। अदालत ने सभी अभियुक्तों को अंतरिम जमानत दी, जिसमें हाफिज सईद, हाफिज मसूद, अमीर हामजा और मलिक जफर शामिल थे। कोर्ट ने 50-50 हजार रुपए के निजी बॉंड पर 31 अगस्त तक के लिए जमानत दी है।
अन्य याचिकाकर्ताओं में मुहम्मद अयूब शेख, जफर इकबाल, सैयद लुकमान अली शाह, हाफिज अब्दुल रहमान मक्की, अब्दुल सलाम, अब्दुल गफ्फार और अब्दुल कुदूस शाहिद शामिल हैं।
31 जुलाई को होगी अगली सुनवाई
कोर्ट में सुनवाई के दौरान अभियुक्तों के वकील ने दलील दी कि जमात-उद-दावा ने अपने मदरसे के लिए किसी भी तरह से जमीन पर अवैध कब्जा नहीं किया है। वकील ने कोर्ट से आग्रह किया कि जमानत याचिका को मंजूर किया जाए।
इस दौरान लाहौर हाईकोर्ट ( LHC ) ने संघीय सरकार, पंजाब सरकार और आतंकवाद-रोधी विभाग ( CTD ) को जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद और उसके सात सहयोगियों द्वारा दायर याचिका के बारे में नोटिस जारी किए, जिसमें एक मामले को चुनौती दी गई थी। बता दें कि CTD द्वारा मामला दर्ज किया गया था।
सरकारी वकील ने अपना पक्ष रखते हुए नोटिस जारी करने पर विरोध जताया और कहा कि याचिका नोन-मेंटेनेबल था। इस पर कोर्ट ने विरोध को दरकिरनार करते हुए सुनवाई 30 जुलाई के लिए स्थगित कर दी।
जस्टिस शेहराम सरवर चौधरी और जस्टिस मोहम्मद वहीद खान ने पक्षों को दो सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा। सुनवाई के दौरान हाफिज सईद और अन्य सात अभियुक्तों की ओर से वरिष्ठ वकील ए.के. डोगर अदालत में मौजूद थे।
आतंकवाद के खिलाफ सरकार की कार्रवाई
बता दें कि इमरान सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करते हुए जमात-उद दावा समेत कई संगठनों को बैन कर दिया था। साथ ही हाफिज सईद और नायब अमीर अब्दुल रहमान मक्की सहित प्रतिबंधित JuD के शीर्ष 13 नेताओं पर आतंकवाद निरोधक अधिनियम, 1997 के तहत आतंक के वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में लगभग दो दर्जन मामले दर्ज किए गए थे।
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सोमवार को सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता लश्कर के सदस्य नहीं थे। उन्होंने बताया कि सईद ने 24 दिसंबर, 2001 को लश्कर के नेतृत्व को छोड़ दिया था, जबकि संगठन को 14 जनवरी, 2002 को प्रतिबंधित कर दिया गया था।
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Updated on:
16 Jul 2019 01:14 pm
Published on:
15 Jul 2019 06:05 pm
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