
लाहौर। जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद बौखलाए पाकिस्तान को अब PoK के हाथ से निकलने का डर सताने लगा है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के बयान के बाद पाकिस्तान और भी खौफजदा हो गया है, तभी तो इमरान खान और उनके तमाम आलाअधिकारी से लेकर नेतागण अनाब-शनाब बयानबाजी कर रहे हैं।
इतना ही नहीं इमरान खान ने एक बड़ा फैसला लेते हुए सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के कार्यकाल में 3 साल का विस्तार भी दे दिया। इस फैसले को लेकर इमरान खान अब अपने ही देश में विपक्षीदलों के निशाने पर आ गए हैं।
इमरान खान को लगता है कि भारत से निपटने के लिए बाजवा के अलावा कोई नया चेहरा शायद मुफिद नहीं होगा, लेकिन अब विपक्षी दलों ने इमरान सरकार को इस मुद्दे पर घेरना शुरू कर दिया है।
विपक्षी दलों ने अपना विरोध जताते हुए कहा कि नजरल बाजवा के कार्यकाल में सेवा विस्तार किए जाने से दुनिया में एक गलत संदेश जाएगा कि पाकिस्तानी सेना केवल एक या दो लोगों पर निर्भर है।
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ( PPP ) के प्रवक्ता फरहतुल्ला बाबर ने कहा कि कार्यकाल में विस्तार देना सही नहीं है, क्योंकि इससे आम लोगों में सकारात्मक संदेश नहीं जाएगा। साथ ही वरीयता के हिसाब से अधिकारियों को जब उनके करियर में प्रमोशन नहीं होगा, तो उनके मनोबल पर भी असर पड़ेगा।
बाबर ने आगे यह भी कहा कि सेना एक ताकतवर संस्थान है और किसी भी ताकतवर संस्थान को किसी व्यक्ति विशेष पर निर्भर नहीं रहना चाहिए।
पीपीपी के अलावा, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) ने भी थोड़ी सतर्कता के साथ आलोचना की और कहा कि बेहतर होगा प्रधानमंत्री खान से इस बारे में पूछा जाना चाहिए।
बाजवा के कार्यकाल में विस्तार क्यों किया गया?
बता दें कि कमर बाजवा को 2016 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पाक आर्मी चीफ के तौर पर नियुक्त किया था। अब सोमवार को इमरान खान ने एक बड़ा फैसला लेते हुए बाजवा के कार्यकाल खत्म होने के दिन ही उन्हें तीन साल के लिए सेवा विस्तार देने की घोषणा कर दी।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए इसकी घोषणा की और बताया कि क्षेत्रीय सुरक्षा के माहौल को देखते हुए यह कदम उठाया गया है।
अब सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि इमरान खान ने आखिरी दिन में यह बड़ा फैसला क्यों लिया? दरअसल, ऐसा माना जा रहा है कि कश्मीर मामले पर बाजवा के पास एक लंबा अनुभव है।
बाजवा ने कश्मीर के इलाकों में लंबे समय तक बतौर सेनाधिकारी अपनी सेवाएं दी है। साथ ही ब्रिगेडियर रहते हुए कांगो में भी शांति मिशन सेवाएं दी है।
कश्मीर को लेकर बाजवा ने कई बार अपनी नीति इमरान सरकार के सामने स्पष्ट की है। जब-जब बाजवा ने सीमा से सटे इलाकों का दौरा किया है तब-तब घुसपैठ की घटनाएं बढ़ी है। ऐसे में इमरान खान को लगता है कि मौजूदा समय में भारत के साथ उपजे तनाव से निपटने के लिए बाजवा एक निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
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Updated on:
21 Aug 2019 08:52 am
Published on:
20 Aug 2019 04:59 pm
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