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इमरान खान का एक साल: फिसड्डी साबित हुआ नया पाकिस्तान का दावा, हर मोर्चे पर फेल हुई सरकार

Imran Khan Government One Year: 25 जुलाई 2018 को इमरान खान ने पाकिस्तान के चुनाव में विजय पाई थी
इमरान खान के कार्यकाल में पाकिस्तान की अर्थव्यस्था सबसे बुरे दौर से गुजर रही है

नई दिल्लीJul 26, 2019 / 09:41 am

Anil Kumar

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान

इस्लामाबाद। पाकिस्तान में इमरान खान सरकार को एक साल पूरे होने में अब बस कुछ ही दिन शेष हैं रह गए हैं। करीब एक साल पहले पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन हुआ था। पाकिस्तानी मतदाताओं ने एक आशा और उम्मीद के साथ आंखों में नए सपने लिए क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान को सत्ता सौंपी थी और देश का वजीर-ए-आजम बनाया था।

उस वक्त इमरान खान ने देशवासियों को आश्वस्वत किया था कि वे ‘नए पाकिस्तान’ का निर्माण करेंगे। इसी वादे के साथ प्रधानमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हुए थे। लेकिन एक साल बाद पाकिस्तान कहां पहुंचा, इमरान खान ने नए पाकिस्तान के लिए क्या-क्या किया, इसको लेकर तमाम तरह के सवाल उठने लगे हैं।

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मौजूदा समय में पाकिस्तान की हालत को देखें तो आजाद पाकिस्तान में आर्थिक तंगी सबसे अधिक है। लोग महंगाई के मार से जूझ रहे हैं। ऐसे ही कई मोर्चे हैं जिसपर इमरान खान खरे साबित नहीं हो पाए हैं। तो ऐसे में इमरान खान को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं, चाहे वह घरेलू मोर्चे पर हो या फिर विदेश नीति के मोर्चे पर।

एक साल के बाद अब ऐसा माना जाने लगा है कि इमरान खान के नया पाकिस्तान का नारा फिसड्डी साबित हो रहा है और सरकार हर मोर्चे पर फेल होती जा रही है।

इमरान खान

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में गिरावट

बता दें कि पाकिस्तान में लोगों ने इमरान खान के एक साल पूरे होने पर जश्न मनाने की जगह पर काला दिवस मनाया। पाकिस्तानी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, इमरान खान ने लोगों से ‘घबराना नहीं है’ का आश्वासन देकर एक कल्याणकारी राज्य का वादा किया था।

लेकिन, पटरी से उतरी अर्थव्यवस्था को काबू करने के प्रयास में उनके वादे धरे के धरे रह गए और आम लोगों की जिंदगी दुश्वार होती गई। बीते एक साल में पाकिस्तानी रुपये का मूल्य तीस फीसदी तक गिरा है और महंगाई नौ फीसदी की दर से बढ़ी है।

अर्थव्यवस्था को गर्त से निकालने के लिए पाकिस्तान सरकार ने सऊदी अरब जैसे देशों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष ( IMF ) से कर्ज लिया है। IMF की ढांचागत सुधार की शर्तों ने दिक्कतें और बढ़ा दी हैं। उसकी शर्तो में के कारण बिजली जैसी मूलभूत चीजों के दाम बढ़ गए हैं।

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कराची विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर असगर अली ने इस संबंध में कहा है कि देश में अभी जितने लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं, इनमें जल्द ही लगभग अस्सी लाख लोग और जुड़ने जा रहे हैं।

भारत-पाकिस्तान

विदेश नीति में फेल रहे इमरान खान

विदेश नीति की बात करें तो इमरान खान ने एक साल में ज्यादा कुछ भी हासिल नहीं किया है जो उनके ‘नए पाकिस्तान’ के सपने को साकार करने के लिए जरूरी है।

इसके अलावा पड़ोसी देशों के साथ भी रिश्तों में दूरियां बढ़ी है। अमरीका, ब्रिटेन, रूस, सऊदी अरब जैसे देशों ने भी पाकिस्तान से किनारा कर लिया है। अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कई बार आतंकवाद को लेकर लताड़ भी लगाई। इतना ही नहीं दशकों से मिल रहे अमरीकी आर्थिक मदद पर भी पाबंदी लगा दी।

सऊदी अरब ने भी पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक मदद पर रोक लगाई तो वहीं ब्रिटेन ने धीरे-धीरे मदद राशि कम कर दी और दी जाने वाली राशि की समीक्षा करने की बात कही।

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भारत ने आतंकवाद को लेकर दुनिया के सामने पाकिस्तान को बेनकाब किया। सबसे बड़ी बात कि इमरान के राज में ही भारत ने पहली बार पाकिस्तान के अंदर घुसकर ( बालाकोट एयर स्ट्राइक ) आतंकी अड्डों को ध्वस्त कर दिया। इससे पूरी दुनिया में पाकिस्तान की जगहसाई हुई।

भारत के साथ बात करने के लिए पाकिस्तान ने लगातार कोशिश की लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि आतंकवाद पर कार्रवाई किए बिना बातचीत नहीं हो सकता है। इससे इमरान की छवि पर भी नकारात्मक असर पड़ा है।

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