
बेटे की याद में विलाप करती मां। फोटो- पत्रिका
राजस्थान के पाली में गणेश विसर्जन में जब हर तरफ बप्पा की विदाई पर ढोल-नगाड़े बज रहे थे। खुशी की गुलाल उड़ रही थी। उस समय इन्द्रा कॉलोनी विस्तार में दो परिवारों के घरों में मातम की चीखें और सिसकियां गूंज उठीं।
वहां ऐसा अंधियारा छाया, जिसे मिटाने वाला सूरज अब कभी उदय नहीं होगा। विसर्जन के दौरान एक बुजुर्ग मां का सहारा छीन गया तो दूसरे परिवार से बहन के विवाह और बीमार माता-पिता की देखभाल करने वाले बेटे के लौटने की उम्मीद हर क्षण गुजरने के साथ धूमिल होती जा रही है।
इन्द्रा कॉलोनी विस्तार में रहने वाला विजयसिंह पुत्र नाथुसिंह के घर के साथ मोहल्ले में सिर्फ मां के करुण रुदन की आवाज सुनाई दे रही है। बड़े पुत्र जितेन्द्रसिंह व पति नाथुसिंह के जाने के बाद 70 साल की बुजु्र्ग मां भंवरी कंवर का विजयसिंह ही सहारा था, जो गणपति विसर्जन के समय बांडी नदी की तेज धारा में खो गया।
वह मां बार-बार म्हारा प्राण क्यूं नहीं निकळे, मैं रोज कीनै हेळो मारू… आवरो बेटा… कहते हुए बेसुध हो जाती है। किराए के कमरे में रहने वाली भंवरी देवी को मकान मालिक के साथ आस-पड़ोस के रहने वाले ढाढस बंधा रहे हैं, लेकिन उसके आंसू नहीं थम रहे।
गणेश विसर्जन के समय विजयसिंह के साथ ललित सेन भी बह गया था। उसके पिता हरिराम सेन, मां सोनी सेन व छोटी बहन संतोष की यह उम्मीद कि अभी ललित बोलेगा मैं आ गया… हर गुजरते क्षण के साथ टूटती जा रही है।
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सर्विस सेंटर पर कार्य करने वाले ललित (32) की सगाई 20 दिन पहले ही मुंडारा के पास डूंगली गांव में हुई थी। ललित के नदी में बहने के बाद से वहां भी चिंता व गम छाया है। ललित के पिता से तो 6 सितम्बर की शाम के बाद बोला तक नहीं जा रहा, दिल की बीमारी के मरीज पिता व मां सिर्फ रो रहे हैं। ललित की दो बड़ी बहनें गीता व डिम्पल सुसराल जाती हैं तो बड़ा भाई भरत अलग रहता है। इस परिवार में मां, पिता व बहन का ललित ही सहारा है।
Published on:
09 Sept 2025 02:47 pm
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