नगर परिषद के उपसभापति कुछ दिन पहले मवेशी की चपेट में आने के कारण घायल हो चुके है। कई लोग भी इससे पहले घायल हो चुके है। इसके बावजूद नगर परिषद के अधिकारी महज मवेशी पकडऩे और उनको गोशाला में छोडऩे का दावा ही कर रहे हैं। जबकि हर सप्ताह कलक्टर की अध्यक्षता में होने वाले बैठकों में कई बार जिला कलक्टर भी शहर को मवेशी मुक्त कराने के निर्देश दे चुके है।
नगर में मवेशियों का आतंक सबसे अधिक चारा बेचने वालों के कारण है। ये गांधी मूर्ति भैरूघाट मार्ग पर दो जगह, नगर पुलिया रोड पर, व्यंक्टेश मार्ग पर, सुंदरनगर के सामने बस स्टैण्ड के पास, मिल गेट क्षेत्र सहित अन्य जगहों पर बैठे रहते हैं और उनके आस-पास बड़ी संख्या में मवेशी खड़े रहते हैं। इसके अलावा भी कई जगहों पर मवेशी बैठे रहते हैं, लेकिन उनको हटाने की कार्रवाई नहीं की जा रही है।
चार बेचने वालों व पशुपालकों के बीच बड़ा तालमेल है। पशुपालक ही इन चारा बेचने वालों के पास सुबह मवेशी छोड़ जाते हैं। जिससे दान कर पुण्य कमाने वालों के चारा डालने पर उनके मवेशियों का पेट भर जाए। ये पशुपालक चारा बेचने वालों के जाने के बाद भी मवेशियों को सिर्फ दूहने के लिए शाम को घर ले जाते हैं। इसके अलावा वे सडक़ पर ही विचरते रहते हैं।
सवाल : मवेशियों को गोशाला में भेजने की क्या कार्रवाई हुई?
जवाब : पाली में 5 हजार मवेशी सडक़ों पर छोड़े गए है। इसमें 200 मवेशी भटवाड़ा के है। राइको की ढाणी, इन्द्रा कॉलोनी, सिंधी कॉलोनी क्षेत्र आदि में रहने वाले लोगों के मवेशी हैं। हमने 1000 मवेशी पकड़े है।
जवाब : हमने इन्द्रा कॉलोनी में शनिवार को 40 मवेशी पकड़े। उनको गोशाला छोडऩे में ही पूरा दिन निकलता है। हम मवेशी पकडऩे का निरन्त अभियान चला रहे है।
जवाब : इससे मवेशी छोडऩे का शुल्क 5100 रुपए कर दिया है। अभी तक किसी के मवेशी नहीं छोड़े है। हम दबाव में भी नहीं आते हैं। निरन्तर मवेशी पकडऩे का अभियान चल रहा है।