बांध-नाडी बता रहे पेयजल की भयावहता
पालीPublished: May 17, 2019 12:42:52 am
सालों से सूखा बाबरा बांध, तालब-नाडी भी सूखे
बांध-नाडी बता रहे पेयजल की भयावहता
बाबरा. क्षेत्रभर में पेयजल की भारी किल्लत बनी हुई है। न्यून बारिश और अतिक्रमणों की भेंट चढ़े बाबरा बांध की हालत खस्ता है। ये बांध सालों से भरा नहीं है। एेसे में यहां के स्थानीय स्रोत भी रीत रहे हैं। भूजल स्तर काफी नीचे जा चुका है। छोटे तालाब-नालियां देखरेख के अभाव में झाडि़यों और मिट्टी से अटे हुए हैं। इन जलस्रोतों का संरक्षण व संवद्र्धन नहीं हुआ तो क्षेत्र के हालात भविष्य में और विकट हो जाएंगे।
जल सहेजने से लेकर जलस्रोतों की सार-संभाल के अभाव में पानी की कमी होना सबसे बड़ा कारण है। प्रकृति के अति दोहन के कारण यहां बारिश का अभाव रहता है। क्षेत्र में सतही जल तो पहले ही सूख चुका है। भूजल भी समाप्त होने की कगार पर पहुंच गया है। क्षेत्र में सबसे बड़े सतही जलस्रोत बाबरा बांध वर्षो से सूखा पड़ा है। अन्य छोटे-बड़े तालाब व नाडिय़ां भी खाली हैं।
ग्रामीणों की प्यास बुझाने तथा सिंचाई के लिए ३६ वर्ष पहले लीलड़ी नदी पर बने बाबरा बांध में पिछले वर्ष मानसून अवधि में भी पानी नहीं पहुंच पाया। बांध का पेटा सूखा ही पड़ा है। बांध क्षेत्र के दर्जनों गांव व कई ढाणियों में सैकड़ों कुओं का जलस्तर भी रसातल में पहुंच चुका है। भूजल स्तर गिरने से क्षेत्रभर में अधिकांश कुएं रीत गए। इससे ग्रामीणों को पेयजल संकट से जूझना पड़ रहा है। बांध ३५० मीटर लम्बा व १३३.१७ एमसीएफटी के साथ ७.५० मीटर भराव क्षमता वाला है। पिछले दो तीन वर्षो में अपर्याप्त वर्षा के कारण बाबरा बांध का पेटा व गेज सूखा ही पड़ा है।
हर बार जल संकट से जूझना पड़ता
क्षेत्र में अपर्याप्त व बेहद कम वर्षा के चलते बाबरा बांध सहित क्षेत्र के अन्य जलाशय रीते हैं। इससे आस-पास के दर्जनों गांव-ढाणियों के कुओं का जलस्तर में भी भारी गिरावट होने से ग्रामीणों को सर्दी हो या गर्मी प्रतिवर्ष जल संकट से जूझना पड़ता है।
इन वर्षों में रीता रहा
वर्ष १९८५, १९८६, १९८७, २००४, २००५, २००६, २००७, २००८, २००९, २०१०, २०११, २०१३, २०१६, २०१७ व २०१८ में बाबरा बांध पन्द्रहवीं बार रीता रहा। वहीं वर्ष १९८३, १९९५, १९९६ व १९९७ में बांध चार बार ही आेवरफ्लो हुआ है।
जागरूकता के प्रयास जारी
&क्षेत्रभर में जल की बेहद कमी है। चाहे वो सतही जल हो या भू-जल। जल संरक्षण के लिए आमजन को अब जागरूक होने की आवश्यकता है। इसके लिए जल सहजने के लिए सभी स्तर पर प्रयास होने चाहिए।
कप्तानसिंह, अध्यक्ष, ग्राम विकास कमेटी, कोलपुरा ग्राम