
हेमावास बांध। फोटो- पत्रिका
राजस्थान के पाली शहर के निकट 100 साल से अधिक पुराने हेमावास बांध की पाळ के नीचे से पानी का रिसाव हो गया। पानी तेजी से खेतों के पास बहने लगा, जिसे कच्ची सड़क पर मिट्टी व पत्थर डालकर रोका गया। उसके पास ही दूसरी जगह से निकल रहे पानी की मात्रा व उसके साथ निकलने वाली मिट्टी का आकलन करने के लिए कॉपर डेम बनाया।
हेमावास बांध की कच्ची पाळ के नीचे खेतों में जाने के लिए बने कच्चे रास्ते पर सुबह पानी का रिसाव शुरू हुआ। उसे वहां किसानों ने देखा तो सिंचाई विभाग के अधिकारियों को सूचना दी। सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने वहां पत्थर व मिट्टी डालकर पानी का रिसाव रोका तो पता लगा कि झाड़ियों के बीच से भी पानी निकल रहा है।
वहां मिट्टी के कट्टे डालकर पानी रोकने का प्रयास किया, लेकिन प्रयास विफल रहे। पानी की मात्रा का आकलन करने के लिए सिंचाई विभाग अधिकारियों ने वहां कॉपर डेम (मिट्टी के कट्टे डालकर छोटी तलाई) बनाई। जिससे पता लग सके कि पानी की मात्रा बढ़ तो नहीं रही, यदि मात्रा बढ़ रही है तो खतरा अधिक होगा।
सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता रामनारायण चौधरी, एक्सइएन एनके बालोटिया, जेइएन बिमला, बांध कार्मिक मांगू खां सहित अन्य शाम तक पानी रोकने का जतन करते रहे। सिंचाई विभाग अधिकारियों की माने तो बांध के पानी के साथ मिट्टी नहीं निकल रही है। ऐसे में बांध की पाळ को खतरा कम है।
हेमावास बांध में इसी जगह के पास वर्ष 2007 में बाढ़ आने पर रिसाव हुआ था। उस समय बांध फूटने का खतरा हो गया था। अधिकारियों ने तब मिट्टी के कट्टे डालकर मिट्टी कटाव को रोका था। वह रिसाव पाळ के बीच में था, जबकि यह रिसाव नीचे की तरफ है। पानी का तेज रिसाव होने पर पानी शहर व उससे सटे कई क्षेत्रों के साथ गांवों में हालात बिगड़ सकते हैं।
हेमावास बांध कमाण्ड क्षेत्र अध्यक्ष गिरधारीसिंह मंडली ने बताया कि बांध से साफ पानी निकलने पर अधिक खतरा नहीं है। यह पुरानी नदी की जगह है। यदि बांध को कुछ होता है तो मंडिया, मंडली, गिरादड़ा, गिरादड़ा की ढाणी, रूपावास, मूलियावास, जवड़िया, गिरधारीसिंह की ढाणी, सुकरलाई सहित कई गांवों को खतरा है। रामासिया, हेमावास, काणदरा, गुड़लाई आदि गांव ऊपर रहने से उनको खतरा नहीं है।
ग्रामीणों के अनुसार अधिकारियों को बांध में पानी की आवक से पहले ही पाळ को ठीक करने के लिए चेताया था। बावजूद ध्यान नहीं दिया। उधर, सिंचाई विभाग के चीफ इंजीनियर ने वीडियो कॉल से बांध की स्थिति का जायजा लिया। गौरतलब है कि हेमावास बांध लगातार तीसरे साल ओवरफ्लो हुआ है।
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बांध बनाते समय उसके नीचे फिल्टर बनाया जाता है। उसी फिल्टर से पानी निकल रहा है। पानी की मात्रा शाम तक वैसी ही रही है, जैसी सुबह थी। पानी के साथ केवल फिल्टर की बजरी निकली है। बांध को अभी कोई खतरा नहीं है।
शंकरलाल राठौड़, अधिशासी अभियंता, सिंचाई विभाग, पाली
Published on:
02 Sept 2025 03:44 pm
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