बिजली लाइनों में जो एल्यूमिनियम मेटरियल काम में लिया जाता है वह सर्दियों में सुकड़ता है और गर्मियों में फैलता है। सर्दी व कोहरे के हालात में ओस गिरती है। इससे लाइनों के तारों की लम्बाई प्रभावित होती है। साथ ही ओस से इंसुलेटेड पर कार्बन आ जाता है।
इससे लाइनें टूट जाती है। खासकर प्रदेश में दिसम्बर व जनवरी के माह से ऐसी घटनाएं होती है। हालात उस समय बिगड़ जाते है जब 220 केवी व 132 केवी हाइटेंशन लाइनें टूटती है।
इन लाइनों के टूटने से बड़े स्तर पर इलाकों की बिजली बंद होती है। ऐसे में सभी हाईटेंशन लाइनों पर विशेष नजर रखी जा रही है।
जोधपुर में मेड़ता के 400 केवी जीएसएस व कोटा से आने वाली 132 केवी लाइनों के माध्यम से बिजली संचारित होती है। यह बिजली सुरपुरा स्थित 400 केवी जीएसएस पर आती है। यहां से पश्चिमी राजस्थान को बिजली जाती है। वहीं पाली में पाली-जोधपुर लाइन, पाली भीलवाड़ा लाइन आती है। इन लाइनों पर विशेष नजर रखी जा रही है।
यह सहीं है कि सर्दी में लाइनें सिकुडऩे से टूटने का खतरा रहता है। लाइनों पर नजर रखी जा रही है। हाइटेंशन लाइनों को तापमान के हिसाब से ही खिंचा गया है, ताकि ज्यादा दिक्कत न हो।
के.एल. डांगी, एक्सइएन, विद्युत प्रसारण निगम, पाली।