नहीं बढ़े राजनीतिक दल
लोकसभा चुनाव में उतरने वाले राजनीतिक दलों की संख्या में कोई खास इजाफा नहीं हुआ है। 2019 के चुनावों में छह पार्टियां चुनाव लड़ रही है, जबकि दो निर्दलीय के रूप में मैदान में है। राजनीतिक दलों की संख्या में मामूली-सी घटत-बढ़त हर चुनाव में रही है। लोकतंत्र के शुरूआती वर्षों में चुनाव लडऩे वाले राजनीतिक दल ज्यादातर गायब हो गए है। अब कई नई पार्टियों ने जन्म लिया है। ये बात दीगर है कि नई-नवैली पार्टियां अपना जनाधार बढ़ाने में अब तक सफल नहीं हुई है। यहां मुख्य मुकाबला कांग्रेस-भाजपा में रहता आया है।
लोकसभा चुनाव में उतरने वाले राजनीतिक दलों की संख्या में कोई खास इजाफा नहीं हुआ है। 2019 के चुनावों में छह पार्टियां चुनाव लड़ रही है, जबकि दो निर्दलीय के रूप में मैदान में है। राजनीतिक दलों की संख्या में मामूली-सी घटत-बढ़त हर चुनाव में रही है। लोकतंत्र के शुरूआती वर्षों में चुनाव लडऩे वाले राजनीतिक दल ज्यादातर गायब हो गए है। अब कई नई पार्टियों ने जन्म लिया है। ये बात दीगर है कि नई-नवैली पार्टियां अपना जनाधार बढ़ाने में अब तक सफल नहीं हुई है। यहां मुख्य मुकाबला कांग्रेस-भाजपा में रहता आया है।
चार चुनावों में रही थी निर्दलीयों की बाढ़
निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लोकसभा चुनाव लडऩे की हिम्मत हर कोई नहीं जुटा पाता। पाली संसदीय सीट के इतिहास में चार चुनाव ऐसे रहे हैं जिनमें निर्दलीय प्रत्याशी की बाढ़ आ गई। 1996 के चुनाव में 38 निर्दलीय प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था। जबकि 1991 में 26, 1989 में 15 तथा 1984 के चुनाव में 12 प्रत्याशी निर्दलीय के रूप में मैदान में रहे हैं।
निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में लोकसभा चुनाव लडऩे की हिम्मत हर कोई नहीं जुटा पाता। पाली संसदीय सीट के इतिहास में चार चुनाव ऐसे रहे हैं जिनमें निर्दलीय प्रत्याशी की बाढ़ आ गई। 1996 के चुनाव में 38 निर्दलीय प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था। जबकि 1991 में 26, 1989 में 15 तथा 1984 के चुनाव में 12 प्रत्याशी निर्दलीय के रूप में मैदान में रहे हैं।
वोटों पर भी लगाई थी सेंध
1996 का चुनाव सिर्फ प्रत्याशियों की संख्या के लिहाज से ही चर्चित नहीं रहा था, इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों ने वोटों में भी अच्छी सेंधमारी की थी। चुनाव जीतने में भाजपा के प्रत्याशी गुमानमल लोढ़ा अवश्य कामयाब रहे थे, लेकिन निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी वोट बटोरने में कमी नहीं रखी। निर्दलीय मीठलाल जैन दूसरे स्थान पर रहे थे। अन्य निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी काफी वोट हासिल किए थे।
1996 का चुनाव सिर्फ प्रत्याशियों की संख्या के लिहाज से ही चर्चित नहीं रहा था, इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों ने वोटों में भी अच्छी सेंधमारी की थी। चुनाव जीतने में भाजपा के प्रत्याशी गुमानमल लोढ़ा अवश्य कामयाब रहे थे, लेकिन निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी वोट बटोरने में कमी नहीं रखी। निर्दलीय मीठलाल जैन दूसरे स्थान पर रहे थे। अन्य निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी काफी वोट हासिल किए थे।
सीट का सियासी सफर
वर्ष प्रत्याशी दल निर्दलीय
2019- 08-06-02
2014-14-07-06
2009-14-05-09
2004-09-04-05
1999-04-03-01
1998-08-06-02
1996-43-05-38
1991-33-07-26
1989-18-03-15
1984-15-03-12
1980-09-03-06
1977- 03-02-01
1971- 05-02-03
1967- 04-02-02
1962- 04-04-00
1957- 05-03-02
1951- 04-02-02
वर्ष प्रत्याशी दल निर्दलीय
2019- 08-06-02
2014-14-07-06
2009-14-05-09
2004-09-04-05
1999-04-03-01
1998-08-06-02
1996-43-05-38
1991-33-07-26
1989-18-03-15
1984-15-03-12
1980-09-03-06
1977- 03-02-01
1971- 05-02-03
1967- 04-02-02
1962- 04-04-00
1957- 05-03-02
1951- 04-02-02