नंदी को नहीं मिल रहे ‘नंद बाबा’
उदासीनता से फाइलों में दफन हुई नंदी गोशाला
- सडक़ों पर विचरण से बढ़ रही हैं दुर्घटनाएं
- महज एक गोशाला संचालक ही आया आगे

पाली. एक साल पहले प्रदेश के प्रत्येक जिले में एक नंदी गोशाला खोलनी थी। लेकिन, एक साल बाद भी कोई नंदी गोशाला खोलने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। जबकि, इनके सडक़ों पर विचरण से दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं। दरअसल, गांवों व शहरों में नर गोवंश की बढ़ती संख्या व उनके कारण उत्पन्न हो रही समस्या से निजात दिलाने के लिए राज्य सरकार ने गत वर्ष बजट में हर जिले में एक-एक नंदी गोशाला खोलने की घोषणा की थी, लेकिन जिले में एक भी गोशाला संचालक इसके लिए आगे नहीं आया है। हालांकि, पशुपालन विभाग ने गत वर्ष जुलाई में नंदी गोशाला के लिए जिले के इच्छुक समितियों, गोशालाओं व व्यक्तियों से आवेदन मांगे थे। लेकिन, गिने-चुने ही आवेदन मिले। उनकी जांच करने पर आवेदन उपयुक्त नहीं पाए गए।
50 लाख रुपए का मिलता है अनुदान
मुख्यमंत्री की बजट घोषणा के बाद राज्य के गोपालन विभाग ने गत वर्ष जून को परिपत्र जारी किया गया। इसके अनुसार कोई भी संस्था या पंजीकृत गोशाला नंदी गोशाला के लिए आवदेन कर सकती है। नंदी गोशाला में 500 या 500 से अधिक नर गोवंश को रखा जा सकेगा। इसके लिए खुद की जमीन या फिर सक्षम स्तर की स्वीकृति प्राप्त लीज की भूमि उपलब्ध होने पर 50 लाख रुपए तक अनुदान दिया जाएगा। इसके तहत गत वर्ष 10 जुलाई को आवेदन मांगे थे। लेकिन एक ही आवेदन आया। इसे विभाग ने जयपुर उच्च अधिकारियों को भेजा था।
लगातार बढ़ रही है नंदी की संख्या
जब से तीन साल तक के बछड़ों के परिवहन पर रोक लगी है, तब से नागौरी नस्ल के गोवंश की दुर्दशा हो रही है। जिले में भरने वाले दो पशु मेले समाप्त होने के कगार पर पहुंच चुके है। परिणाम स्वरूप जिले में लावारिस गोवंश की संख्या लगातार बढ़ रही हैं। गायों के लिए तो गोशालाएं खोली जा चुकी है। लेकिन, नंदी गोशालाएं नहीं खुल रही हैं।
फसलों को पहुंचा रहे नुकसान
वर्ष 2012 की पशुगणना के अनुसार जिले में जहां गोवंश की संख्या 3 लाख 20 हजार 500 थी। वहीं नर गोवंश की संख्या करीब 30 हजार से ज्यादा थी। ग्रामीण क्षेत्रों में लावारिस घूमने वाला नर गोवंश फसलों को जमकर नुकसान पहुंचा रहा है। शहरी क्षेत्र में भी वाहनों व आमजन को भी नुकसान पहुंचा रहे है। गोवंश के कारण आए दिन सडक़ दुर्घटनाएं हो रही है।
गोशाला वाले आगे नहीं आ रहे
नंदी गोशालाएं खोलनी थी। लेकिन, गोशाला संचाक इसके लिए आगे नहीं आ रहे है। झीतड़ा गोशाला चलाने वाले संचालक आए हैं। जल्द ही नंदी गोशाला खोल दी जाएगी।
डॉ. चक्रधारी गौतम, उपनिदेशक पशुपालन विभाग पाली
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