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अब एएससी पश्चिमी कमान का प्रभार संभालेगे पाली के मेजर जनरल राजपुरोहित…..

locationपालीPublished: Jun 11, 2018 01:40:09 pm

Submitted by:

Rajeev

मेजर जनरल राजपुरोहित अब संभालेंगे एएससी पश्चिमी कमान का प्रभारपाली के पुनायता गांव के मूल निवासी हैं मेजर जनरल राजपुरोहित

indian army

अब एएससी पश्चिमी कमान का प्रभार संभालेगे पाली के मेजर जनरल राजपुरोहित…..

पाली/बेंगलूरु. जब मेजर जनरल एन.एस. राजपुरोहित यहां एएससी सेंटर एवं कॉलेज से बग्घी में सवार होकर निकले तो माहौल जयकारों से गूंज उठा। वे इस केंद्र के उप कमांडेंट एवं मुख्य प्रशिक्षक के तौर पर दो साल का कार्यकाल पूरा कर एमजी एएससी पश्चिमी कमान का प्रभार संभालने के लिए विदा हो रहे थे। पाली जिले के पुनायता गांव के मूल निवासी मेजर जनरल राजपुरोहित ने आईटी सिटी में दो साल के कार्यकाल में एएससी सेंटर एवं कॉलेज ने चहुंमुखी विकास किया तो सिविलयन के साथ सेना का रिश्ता भी अपने सर्वोच्च स्तर पर पहुंचाया। शहर की बेलंदूर झील में लगी आग बुझाने में उनके प्रयासों को प्रदेश सरकार ही नहीं आमजन ने भी सराहा।
‘देश सेवा से बढकऱ कुछ नहीं’

पत्रिका के साथ विशेष बातचीत में मेजर जनरल राजपुरोहित ने कहा कि वर्दी की सेवा सबसे नेक सेवा है। देश सेवा से बढकऱ कुछ नहीं। उन्हें इस बात का गर्व है कि राजस्थान के पाली जिले के एक छोटे से गांव पुनायता में जन्म लिया और आज सेना में मेजर जनरल पद पर हैं। इससे यह साबित होता है कि अगर युवा मेहनत करें तो मुश्किल कुछ भी नहीं।
दरअसल, स्कूल एवं कॉलेजों में जाकर विद्यार्थियों से मिलना और उनमें ऊर्जा का संचार कर देश सेवा के लिए प्रेरित करने का जज्बा उनमें शुरू से ही रहा है। उन्हेांने कॉलेजों में जाकर युवाओं को सेना ज्वाइन करने के लिए प्रेरित किया और जोर देकर कहा कि सेना में सब कुछ निष्पक्ष है। इसका जीता
जागता सबूत वे खुद हैं।
मेजर जनरल राजपुरोहित का यहां दो साल का कार्यकाल उपलब्धियों भरा रहा। उनके पदभार संभालने के तुरंत बाद सेना की टीम डुरंड कप फुटबॉल में भाग लेने वाली थी। उनके नेतृत्व में ऐसी तैयारियां हुईं कि टीम ताज पहनकर लौटी। एक राष्ट्रीय सैन्य परिवहन हेरिटेज पार्क की स्थापना भी उनके कार्यकाल में हुई, जो देश में अपने आप में अनूठा है। हालांकि, मेजर जनरल राजपुरोहित का ज्यादा जोर सैन्य प्रशिक्षण को और बेहतर बनाने के साथ आधुनिकीकरण पर रहा और इसमें वे सफल हुए। सैन्य-नागरिक संबंधों में आई मधुरता पर उन्होंने कहा कि यह उनकी प्रकृति में है। आखिर सेना किसकी सुरक्षा कर रही है। देशवासियों की सुरक्षा में लगी सेना उनसे ही दूरी बना लेगी तो वे सेना को क्या समझेंगे? सेना क्या है और उसकी सोच क्या है यह हमेशा बताने का प्रयास किया। इससे जवानों का मनोबल भी बढ़ता है कि वे जिनके लिए कर रहे हैं वे उन्हें भलि-भांति जान रहे हैं और सम्मान दे रहे हैं। इससे पहले उन्होंने सैन्य परंपराओं के मुताबिक शहीद स्मारक जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की और फिर चर्च, मस्जिद, गुरुद्वारा और मंदिर गए।

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