‘देश सेवा से बढकऱ कुछ नहीं’ पत्रिका के साथ विशेष बातचीत में मेजर जनरल राजपुरोहित ने कहा कि वर्दी की सेवा सबसे नेक सेवा है। देश सेवा से बढकऱ कुछ नहीं। उन्हें इस बात का गर्व है कि राजस्थान के पाली जिले के एक छोटे से गांव पुनायता में जन्म लिया और आज सेना में मेजर जनरल पद पर हैं। इससे यह साबित होता है कि अगर युवा मेहनत करें तो मुश्किल कुछ भी नहीं।
दरअसल, स्कूल एवं कॉलेजों में जाकर विद्यार्थियों से मिलना और उनमें ऊर्जा का संचार कर देश सेवा के लिए प्रेरित करने का जज्बा उनमें शुरू से ही रहा है। उन्हेांने कॉलेजों में जाकर युवाओं को सेना ज्वाइन करने के लिए प्रेरित किया और जोर देकर कहा कि सेना में सब कुछ निष्पक्ष है। इसका जीता
जागता सबूत वे खुद हैं।
मेजर जनरल राजपुरोहित का यहां दो साल का कार्यकाल उपलब्धियों भरा रहा। उनके पदभार संभालने के तुरंत बाद सेना की टीम डुरंड कप फुटबॉल में भाग लेने वाली थी। उनके नेतृत्व में ऐसी तैयारियां हुईं कि टीम ताज पहनकर लौटी। एक राष्ट्रीय सैन्य परिवहन हेरिटेज पार्क की स्थापना भी उनके कार्यकाल में हुई, जो देश में अपने आप में अनूठा है। हालांकि, मेजर जनरल राजपुरोहित का ज्यादा जोर सैन्य प्रशिक्षण को और बेहतर बनाने के साथ आधुनिकीकरण पर रहा और इसमें वे सफल हुए। सैन्य-नागरिक संबंधों में आई मधुरता पर उन्होंने कहा कि यह उनकी प्रकृति में है। आखिर सेना किसकी सुरक्षा कर रही है। देशवासियों की सुरक्षा में लगी सेना उनसे ही दूरी बना लेगी तो वे सेना को क्या समझेंगे? सेना क्या है और उसकी सोच क्या है यह हमेशा बताने का प्रयास किया। इससे जवानों का मनोबल भी बढ़ता है कि वे जिनके लिए कर रहे हैं वे उन्हें भलि-भांति जान रहे हैं और सम्मान दे रहे हैं। इससे पहले उन्होंने सैन्य परंपराओं के मुताबिक शहीद स्मारक जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की और फिर चर्च, मस्जिद, गुरुद्वारा और मंदिर गए।