महोत्सव के तहत व्रत के तीसरे दिन सबह व्रतियों के घर में महिलाओं ने सुबह छठ माता व सूर्य भगवान की भक्ति से ओतप्रोत भजन गाकर आराधना की। इसके बाद भगवान सूर्य को अघ्र्य देने व पूजन करने के लिए ठेकुआ व कचवनिया (पीसे चावल में गुड़ मिलाकर बनाया गया मिष्ठान) बनाए। इसके बाद दऊरा (बांस की टोकरी) में ठेकुआ, कचवनिया, पतासा, फल, गाजर, मूली, शकरकंद, पान का पत्ता, सुपारी आदि रखे। इसके बाद व्रतियों ने दिन भर छठ माता व सूर्य भगवान का ध्यान किया और सांझ होने से पहले दऊरा में रखी सामग्री लेकर जयकारे लगाते लाखोटिया तालाब स्थित छठ घाट की ओर से बढ़े। वहां पहुंचने पर मंत्रोच्चार के साथ पानी में खड़े होकर अस्ताचल सूर्य को अघ्र्य देकर शीश नवाया।
कुमकुम व सिंदूर से बनाया अरपन
अघ्र्य देने के लिए व्रतियों ने पहले अरपन बनाया। अरपन कुमकुम आटे में कुमकुम व सिंदूर मिलाकर बनाया जाता है। इसे हाथ में लगाने के बाद सूप हाथ में लिया जाता है। इसके बाद सूप से अघ्र्य दिया जाता है।
अघ्र्य देने के लिए व्रतियों ने पहले अरपन बनाया। अरपन कुमकुम आटे में कुमकुम व सिंदूर मिलाकर बनाया जाता है। इसे हाथ में लगाने के बाद सूप हाथ में लिया जाता है। इसके बाद सूप से अघ्र्य दिया जाता है।
कोशी का किया पूजन
महोत्सव में कई लोगों ने कोशी का पूजन किया। हाथी व कड़ाही की कोशी का पूजन करने व भरने के पीछे मान्यता है कि ऐसा करने वाले परिवार की मनोकामना पूर्ण हुई है। महोत्सव में आने वाली महिलाओं ने नाक से सिर तक लम्बा तिलक लगाकर सिंदूर भरकर अखण्ड सुहाग की प्रार्थना की।
महोत्सव में कई लोगों ने कोशी का पूजन किया। हाथी व कड़ाही की कोशी का पूजन करने व भरने के पीछे मान्यता है कि ऐसा करने वाले परिवार की मनोकामना पूर्ण हुई है। महोत्सव में आने वाली महिलाओं ने नाक से सिर तक लम्बा तिलक लगाकर सिंदूर भरकर अखण्ड सुहाग की प्रार्थना की।
इन्होंने किया सहयोग
पूजन व घाट पर व्यवस्था करने में समिति के पदाधिकारियों व सदस्यों ने सहयोग किया। इस मौके संरक्षक अभयकुमार शर्मा, अध्यक्ष अनिलसिंह, उपाध्यक्ष जितेन्द्र पाण्डेय, सचिव एके घोष, कोषाध्यक्ष संजयसिंह, पंकज कुमार, प्रभंजन मिश्रा, प्रमोदसिंह, विकास कुमार, राहुल कुमार, प्रिंस कुमार, डॉ. प्रभत रंजन, आरपी सिन्हा, अनूप पाण्डेय व संजय पाण्डेय अन्य सदस्यों ने व्यवस्था संभाली।
पूजन व घाट पर व्यवस्था करने में समिति के पदाधिकारियों व सदस्यों ने सहयोग किया। इस मौके संरक्षक अभयकुमार शर्मा, अध्यक्ष अनिलसिंह, उपाध्यक्ष जितेन्द्र पाण्डेय, सचिव एके घोष, कोषाध्यक्ष संजयसिंह, पंकज कुमार, प्रभंजन मिश्रा, प्रमोदसिंह, विकास कुमार, राहुल कुमार, प्रिंस कुमार, डॉ. प्रभत रंजन, आरपी सिन्हा, अनूप पाण्डेय व संजय पाण्डेय अन्य सदस्यों ने व्यवस्था संभाली।
गूंजी सुंदरकांठ की चौपाइयां
सूर्य को अघ्र्य देने के बाद सुंदरकांड का आयोजन किया गया। इसमें बिहारी समाजबंधुओं के साथ शहरवासियों ने सुंदरकांड की चौपाइयां गाकर भगवान राम, सीता व हनुमान का गुणगान किया। इस दौरान महिलाओं व समाजबंधुओं ने बिहारी भाषा में गीत गाए।
सूर्य को अघ्र्य देने के बाद सुंदरकांड का आयोजन किया गया। इसमें बिहारी समाजबंधुओं के साथ शहरवासियों ने सुंदरकांड की चौपाइयां गाकर भगवान राम, सीता व हनुमान का गुणगान किया। इस दौरान महिलाओं व समाजबंधुओं ने बिहारी भाषा में गीत गाए।