जिलेवासियों का कहना है कि सडक़ों पर विचर रहे मवेशियों के कारण कई लोग चोटिल होते हैं। कई लोग काळ का ग्रास बन चुके है। इसका भी किसी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है। शहर की सडक़ों पर घूम रहे मवेशियों को पकडऩे के लिए नगर परिषद के सभी दावे दावा खोखले साबित हो रहे हैं। इसके चलते सालों पुरानी इस समस्या से शहरवासियों को छुटकारा नहीं मिल रहा। पूर्व जिला कलक्टर अम्बरीश कुमार, नीरज के पवन, रोहित गुप्ता ने सडक़ों पर विचर रहे मवेशियों के सम्बन्ध में नगर परिषद आयुक्त को प्रभावी कार्रवाई करने के निर्देश दिए। नगर परिषद ने कार्रवाई भी की, लेकिन कुछ माह बाद फिर से सडक़ों पर मवेशी विचरण करने लगे। स्थिति यह है कि नहर पुलिया से अम्बेडकर सर्कल की तरफ जाने वाले मार्ग पर सडक़ किनारे चारा बेच रही महिलाओं तक को नगर परिषद नहीं हटा सकी।
जवाब मांगते सवाल
– नगर परिषद का दावा है कि समय-समय पर मवेशी पकडऩे की कार्रवाई की जाती है। सवाल खड़ा होता है कि फिर सडक़ों पर मवेशी वापस कहां से आ जाते है।
– सडक़ों पर विचर कर रहे मवेशियों से होने वाले हादसों को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों-कर्मचारियों की जवाबदेही तय क्यों नहीं की जाती।
मवेशी के कारण मां के पेट में आए 80 टांके
करीब पांच वर्ष पूर्व की बात है मां (पुष्पा देवी) घर से सब्जी लेने निकली। मोहल्ले से बाहर निकली ही थी कि सडक़ पर विचर रहे मवेशी ने सिंग उनके पेट में घुसा दिया। इसका उपचार कराने पर 80 टांके आए। शुक्र है कि मां की जान बच गई। आज भी सडक़ों पर विचरते मवेशी देखता हूं तो अपनी मां के साथ हुआ हादसा आंखों के सामने आ जाता है। जिम्मेदार अधिकारी अपनी जवाबदेही नहीं निभा रहे। इसके चलते आज भी सडक़ों पर मवेशी राज है। -प्रमोद परिहार, भैरूघाट भलावतों का वास