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राजस्थान का अनोखा सरकारी स्कूल: जहां क्लासरूम नहीं, ट्रेन में होती है पढ़ाई!

राजस्थान के पाली जिले में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय बांकली के नवाचारप्रिय शिक्षक अनिल ओझा ने स्कूल को ऐसा स्वरूप दे दिया है, जिसे देख हर कोई आश्चर्यचकित है।

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पाली

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Santosh Trivedi

Dec 10, 2025

train like school pali

Photo- Patrika

पाली। सुमेरपुर उपखंड क्षेत्र के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय बांकली ने शिक्षा जगत में एक मिसाल कायम कर दी है। यहां के नवाचारप्रिय शिक्षक अनिल ओझा ने स्कूल को ऐसा स्वरूप दे दिया है, जिसे देख हर कोई आश्चर्यचकित है। पहली नजर में यह किसी प्लेटफ़ॉर्म पर खड़ी ट्रेन जैसा दृश्य लगता है, लेकिन यह ओझा की ओर से किया गया अद्भुत नवाचार है।

पांच लाख रुपए की लागत से प्लास्टिक पेंट करवाया

राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय प्रधानाचार्य लुनसिंह ने बताया की माध्यमिक शिक्षा बोर्ड निदेशक के आदेशों की पालना करते हुए विद्यालय परिसर में शिक्षक अनिल ओझा ने विद्यालय भामाशाह को प्रेरित कर पांच लाख की लागत से उच्च क्वालिटी का प्लास्टिक पेंट करवाया गया।

कक्षा 1 से 5 तक के लिए आनंददायी शिक्षण की सोच के साथ कक्षाओं को लहर कक्षा ट्रेन थीम में विकसित किया गया। बच्चे अब ट्रेन जैसे माहौल में पढ़कर आनंद ले रहे हैं, जिससे उनकी उपस्थिति और सीखने की रुचि दोनों बढ़ी हैं।

80 लाख से बदली थी स्कूल की दशा, फिर किया नया कमाल

शिक्षक अनिल ओझा इससे पहले भी विद्यालय की जर्जर स्थिति से भावुक होकर गांव के भामाशाह हजारीमल-जवानमल कोठारी परिवार को प्रेरित कर 63 साल बाद 80 लाख रुपए से स्कूल का जीर्णोद्धार करवा चुके हैं। और अब दोबारा भामाशाहों के साथ मिलकर पूरे विद्यालय का नया रूप तैयार कराया।

ड्रॉपआउट दर ‘शून्य’, प्रवेशोत्सव प्रभारी का बेहतरीन योगदान

प्रवेशोत्सव प्रभारी के रूप में ओझा ने गांव में ड्रॉपआउट और अनामांकित छात्रों की संख्या शून्य कर दी। यह उपलब्धि उनके सतत परिश्रम और जनसहयोग का परिणाम है।

सरकारी स्कूल को निजी विद्यालय जैसी आधुनिक पहचान

भामाशाहों के सहयोग से विद्यालय में कई सुविधाएं की गई है जैसे बालिकाओं के लिए अलग शौचालय, वाटर कूलर व आरओ सहित शीतल जल व्यवस्था, छात्रों व कक्षाओं के लिए आधुनिक फर्नीचर,सम्पूर्ण परिसर में ग्रेनाइट फर्श, नया मुख्य प्रवेशद्वार, प्रधानाचार्य कक्ष, पुस्तकालय के लिए आधुनिक फर्नीचर व कांचदार अलमारियां, सुंदर रंगरोगन जो 15 अक्टूबर से 5 दिसम्बर 2025 तक कार्य पूर्ण किया गया।

राज्य स्तर पर सम्मानित, ‘शाला मित्र’ की उपाधि भी मिली

विद्यालय को नये स्वरूप में विकसित करने व अनुकरणीय कार्य के लिए शिक्षा विभाग की ओर से अनिल ओझा को ‘शाला मित्र’ की उपाधि प्रदान की गई।