अरावली पर्वतमाला की 3955 फीट शीर्षस्थ शिखर पर भगवान परशुराम ने अपने फरसे से पर्वतमाला को चीर कर प्राकृतिक गुफा बनाई। जहां मातृ हत्या पापमुक्ति में शिव की तपस्या की। परशुराम महादेव तीर्थ नाम से ख्यात प्राकृतिक गुफा में प्राकृतिक प्रस्तर भू शिवलिंग, गणेश, कार्तिकेय, नन्दी एवं गौमुख के थन हैं। प्राकृतिक शिवलिंग पर नौ कोटर बने हैं। इनमें वर्षपर्यन्त जल भरा रहता है। यहां दर्शनार्थ वर्षपर्यन्त देशभर से 8 से 10 लाख श्रद्धालु पहुंचते हैं। राजसमंद व पाली जिला की संयुक्त सीमा व कुम्भलगढ वन्यजीव अभयारण्य दायरे में आने से इसका विकास अवरूद्ध हो गया। आज भी कई जगह लटकती चट्टानें खौफनाक दिखाई देती हैं।
सैलानियों को लुभाता रणकपुर मंदिर
600 वर्ष पूर्व धरणाशाह ने नलिनी गुल्म विमान सदृश्य शिल्पकलाकृति का निर्माण करवाया। जिसमें भगवान आदिनाथ की विशाल चतुर्मुखी प्रतिमा, 4 मेघनाद रंग मण्डप, 84 देवीदेवता गम्भारामन्दिर सहित 350 देवीदेवताओं की प्रतिमाएं,1444 खम्भें, जिनमें प्रत्येक खम्भे की भिन्न भिन्न शिल्प कलाकृति सहसा सैलानी को आकर्षित करती है। मन्दिर सम्मुख काला-गोरा भैरव प्रतिमाएं, कल्पवृक्ष पर्ण, ऊं कार शिल्प, सहस्त्राफणा सरीसर्प संग नागेश्वर भगवान, ऊंकार ध्वनि नरमादा टंकोर, शिल्प कलाकृति पिलर पर दानदाता भगवान के दर्शन करते आकर्षण केन्द्र हैं।
सूर्य की पहली किरण का स्वागत करता सूर्यमन्दिर महाराणा मोकल द्वारा निर्मित सूर्य मन्दिर जो सूर्योदय की प्रथम किरण का स्वागत करता है। यहा प्रतिवर्ष सूर्यसप्तमी मकरसक्रान्ति पर्व पर अनुष्ठान तो जिला प्रशासन व पर्यटन विभाग नगरपालिका की ओर से रणकपुर जवाई महोत्सव का आयोजन होता हैं। यहां सरकार ने मुक्ताकांक्षी रंगमंच का निर्माण करवाया है। जबकि यहां ऑडिटोरियम, हाट बाजार सहित कुम्भलगढ़-रणकपुर-जवाई बान्ध कोरीडोर प्लान के तहत कई योजनाएं प्रस्तावित थी जो फाइलों में दफन हैं।
नेशनल पार्क से बढ़ेगा पर्यटन
481 वर्ग किलोमीटर में प्रस्तावित कुम्भलगढ़ नेशनल पार्क में राजसमंद सहित पाली के वन क्षेत्र में बाघ पुर्नवास योजना तैयार की जा रही है। देसूरी-जोबा-माण्डीगढ़, रणकपुर मालगढ़, मोडिया तक का एरिया बाघ पुर्नवास योग्यस्थल बतलाया गया है। इससे यहां पर्यटन को और बढ़ावा मिलेगा।