गलथनी के ठाकुर केशरीसिंह ने 1886 में दुर्गा फोर्स ज्वाइन करने के बाद 1889 में जोधपुर लांसर फोर्स का गठन किया। 1891 में प्रथम चीन युद्ध व 1914 में प्रथम विश्व युद्ध में शौर्य का लोहा मनवाया। उन्होंने फ्रांस के फेस्टोबिया में लड़ाई लड़ते समय मेजर स्ट्रॉंग को जर्मनी की खाई में भारी बमबारी से बचाकर अपनी वीरता का परिचय दिया था। इनके भाई समरथसिंह देवड़ा ने भूपाल इंफेन्ट्री में बतौर उदयपुर-मेवाड कमांडिंग ऑफिसर में सैन्य सेवा की शुरुआत की। 1917 में भारतीय सेना में कमीशन मिला। गौरवपूर्ण सेवाओं के चलते वायसराय ऑफ इंडिया फिल्ड मार्शल लार्ड वेवल ने राव साहिब की उपाधि से नवाजा था। उनको प्रिंस वाल्स मेडल, सिल्वर जुबली मेडल, कोरानेशन मेडल व विक्टोरिया मेडल से भी नवाजा गया। वहीं, बिग्रेडियर हरिसिंह गलथनी के पराक्रम के चर्चे तो आज भी दुनियाभर में मशहूर हैं। अपने पिता कैप्टन समरथसिंह से विरासत में मिले देश सेवा के जज्बे के साथ 1941 में सैकंड लेफ्टिनेंट के रूप में जोधपुर स्टेट फोर्स ज्वाइन की। 1944 में कमीशन पाकर भारतीय सेना के हिस्सा बने। बिग्रेडियर हरिसिंह ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मध्य-पूर्व के इराक, इरान, सीरिया, लेबनान, फिलिस्तीन व मिश्र आदि देशों में परचम लहराते हुए देश का नाम रोशन किया। उन्हें 1945-48 मिडिल-इस्ट मेडल व डिफेंस मेडल से नवाजा गया।
गलथनी के बन्नेसिंह कलक्टर रह चुके हैं तो डॉ. एसएस देवड़ा एसएमएस हॉस्पिटल जयपुर के अधीक्षक पद से सेवानिवृत हुए हैं। भवानीसिंह देवड़ा आरएएस, भीकसिंह तहसीलदार सेवा व नारायणदास तहसीलदार पद से सेवानिवृत हुए हैं। वर्तमान में गोविंदसिंह देवस्थान बोर्ड उदयपुर में उपायुक्त है तो नारायणसिंह देवड़ा सहायक निदेशक कृषि, डॉ. भीकसिंह देवड़ा, डॉ. रेणू, चेलाराम मेघवाल एसबीबीजे सहायक प्रबंधक, हीरसिंह रावणा सहायक निदेशक कृषि के पद पर रह चुके हैं। डॉ. नीलम मेघवाल पीएचडी कर चुकी है तो डॉ. हर्षिता मेघवाल आयुर्वेद चिकित्सक हैं। वहीं गांव के कई लोग सेना में अधिकारी हैं।