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मंदिरों की नगरी पन्ना में भगवान जुगुल किशोर कर रहे हैं तर्पण, धारण किये श्ïवेत वस्त्र

पितृपक्ष में भगवान भी करते हैं तर्पण

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Lord Jugul Kishore is performing Tarn in temple town Panna

Lord Jugul Kishore is performing Tarn in temple town Panna

पन्ना. पवित्र नगरी पन्ना के मंदिरों में त्योहारों के आयोजन की परंपराएं और यहां निभाई जाने वाली रस्में भी निकाली हैं। पन्ना में मिनी वृंदावन कहे जाने वाले भगवान जुगल किशोर मंदिर में पितृपक्ष पर भगवान अपने पितरों के आत्मा की शांति के लिए तर्पण कर रहे हैं। पितृपक्ष के इन 15 दिनों में भगवान श्वेत वस्त्र ही धारण करते हैं।

भगवान करते हैं तर्पण
मंदिर के पुजारी अवध बिहारी बताते हैं कि जिनके नाम लेने मात्र से दुनियाभर की चिंताएं दूर हो जाती हैं उन साक्षात भगवान विष्णु के अवतार भगवान जुगल किशोर को अपने पितरों के आत्मा की शांति की चिंता है। इसी कारण वे पितृपक्ष में हर साल सुबह पांच बजे तर्पण करते हैं। उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया मंदिर के गर्भगृह में पुजारियों द्वारा निभाई जाती है। जन सामान्य के लिए इसे देखना निषेध है। उन्होंने बताया कि पितृपक्ष के १५ दिनों भगवान तर्पण करने के साथ ही श्वेत वस्त्र भी धारण करते हैं।

देश में दुर्लभ हैं ऐसे मंदिर
गौरतलब है कि देश में ऐसे बहुत ही कम मंदिर हैं जहां भगवान सामान्य इंसानों की भांति अपने पितरों के आत्मा की शांति के लिए इस तरह से तर्पण करते हों। यहां इसी तरह से आयोजित होने वाली परंपराएं और रश्में पन्ना के मंदिरों को अनूठा बनाती हैं। भगवान जुगल किशोर का मंदिर पन्ना के सर्वाधिक प्रसिद्ध मंदिरों में से एक हैं। यहां भगवान विष्णु के सभी अवतारों की झांकी सजाई जाती हैं। दिन के पांच टाइम भगवान की आरती होती है। हर आरती में सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव यहां साल में आयोजित होने वाला सबसे बड़ा कार्यक्रम है।

नदी, तालाबों में कर रहे तर्पण
15 दिनों तक चलने वाले पितृपक्ष में पितरों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए उपाए करने के समर्पित हैं। इसी कारण से पितृपक्ष शुरू होने के साथ ही बड़ी संख्या में लोग सुबह ५ बजे से नदी, तालाबों सहित अन्य जल स्रोतों में पहुंचकर स्नान करने के बाद तिल, जौ और चावल आदि से तिलांजिलि आर्पित करते हैं। श्रद्धा भी करने की परंपरा है।