
बिहार पुलिस का ऑपरेशन लंगड़ा (फोटो- AI)
बिहार पुलिस ने राज्य में अपराध को रोकने के लिए सख्त रणनीति अपनाई है, जिसे 'ऑपरेशन लंगड़ा' नाम दिया गया है। पटना, बेगूसराय, दरभंगा और छपरा जैसे जिलों में कुख्यात अपराधियों के साथ हुई मुठभेड़ों की एक सीरीज़ के कारण यह ऑपरेशन हाल ही में सुर्खियों में रहा है। इन मुठभेड़ों से यह साफ हो गया है कि राज्य की नई कानून-व्यवस्था नीति अब ज़ीरो-टॉलरेंस अप्रोच पर आ गई है। इस ऑपरेशन का मकसद अपराधियों को खत्म करना नहीं है, बल्कि उन्हें पैरों में गोली मारकर पकड़ना है ताकि वे भाग न सकें। इससे वे पुलिस पर फायरिंग नहीं कर पाते हैं, जिससे आगे की पूछताछ और कोर्ट ट्रायल संभव हो पाता है।
इस ऑपरेशन के तहत जैसे ही पुलिस को किसी वांटेड अपराधी की लोकेशन मिलती है, टीम उसे पकड़ने के लिए पहुंचती है। अगर आरोपी भागने की कोशिश करता है, हथियार निकालता है या पुलिस पर फायरिंग करता है तो चेतावनी देने के बाद पुलिस उसके निचले हिस्से पर गोली चलाती है। इसके पीछे का मकसद यही है कि अपराधी घायल होकर गिर जाए, भाग न पाए और पुलिस बिना किसी जानलेवा जोखिम के उसे जिंदा काबू कर ले। यही कारण है कि अब राज्यभर में अपराधियों के पैरों में गोली लगने के बाद पकड़े जाने की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं।
'ऑपरेशन लंगड़ा’ की शुरुआत जून 2025 के आसपास तब की गई, जब पटना समेत कई जिलों में लूट, रंगदारी, हत्या और गैंगवार की घटनाएं अचानक बढ़ गई थीं। डीजीपी विनय कुमार के नेतृत्व में इस स्पेशल रणनीति को तैयार किया गया। वहीं नई सरकार बनने और सम्राट चौधरी के गृह मंत्री बनने के बाद इस अभियान की रफ्तार और भी तेज हो गई। नई सरकार बनने के बाद 32 दिनों में अब तक चार एनकाउंटर हो चुके हैं।
बिहार पुलिस का तर्क साफ है कि अगर अपराधी गोलीबारी करे या भागने की कोशिश करे, तो उसे जिंदा पकड़ना ही सबसे सुरक्षित तरीका है। पैर में गोली लगने से अपराधी भाग नहीं सकता और न ही उसकी जान जाती है। ऐसे में अपराधी पुलिस या आम लोगों पर गोली नहीं चला सकता। पुलिस को अपराधी से पूछताछ का मौका भी मिलता है जिससे बड़े गैंग बेनकाब हो सकते हैं।
बेगूसराय, सारण, पटना, मुजफ्फरपुर, वैशाली, दरभंगा समेत की अन्य जगहों पर पिछले कुछ महीनों में कई कुख्यात अपराधियों को ‘लंगड़ा’ करके पकड़ा गया। इनमें रंगदारी मांगने वाले, लूटकांड के आरोपी, गैंगस्टर और हत्या के मामलों में वांछित लोग शामिल हैं। सबसे ताजा उदाहरण है पटना में कुख्यात राकेश कुमार का एनकाउंटर है, जिसमें पुलिस पर फायरिंग करने के बाद उसे पैरों में गोली मारी गई और जिंदा गिरफ्तार किया गया।
गृह विभाग का कार्यभार संभालने के बाद सम्राट चौधरी ने साफ़ संदेश दिया था कि अपराधी या तो जेल में होंगे या उन्हें अपने कामों का अंजाम भुगतना पड़ेगा। उनके पद संभालने के तुरंत बाद, कुख्यात अपराधी शिवदत्त राय बेगूसराय में एनकाउंटर में घायल हो गया और उसे पकड़ लिया गया। इसी तरह छपरा में अजय राय और शिकारी राय के खिलाफ भी कार्रवाई की गई। अब, पटना में एक एनकाउंटर हुआ है। कुल मिलाकर, सम्राट चौधरी के पद संभालने के बाद से चार बड़े एनकाउंटर हो चुके हैं।
क्योंकि इस ऑपरेशन का सबसे बड़ा परिणाम है अपराधी गोली लगने के बाद लंगड़ा होकर भागने से रहा। नाम भले थोड़ा कठोर लगे, लेकिन बिहार पुलिस इसे एक सर्जिकल स्ट्राइक मॉडल में बदल चुकी है अपराधियों की कमर तोड़ने वाला मॉडल।
Published on:
11 Dec 2025 01:08 pm
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