
लालू प्रसाद यादव (फोटो- पत्रिका ग्राफिक्स)
लालू जी की संपत्ति सीज कर उसमें बच्चों के लिए स्कूल खोले जाएंगे। बिहार सरकार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी के इस बयान के बाद एक बार फिर लालू प्रसाद के बंगले पर चर्चा शुरू हो गई है। सम्राट चौधरी का यह बयान तब सामने आया, जब पटना के प्राइम लोकेशन पर आयकर विभाग ने बेनामी संपत्ति को अटैच किया। यह वही जमीन है, जिसे लेकर सुशील मोदी ने दावा किया था कि यह बेनामी संपत्ति लालू परिवार की है। हालांकि, कागजों पर इस बेनामी संपत्ति के मालिक लालू यादव नहीं हैं।
दरअसल, इस समय आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के दो बंगले चर्चा में हैं। 10 सर्कुलर रोड स्थित राबड़ी आवास को खाली करने के सरकारी आदेश के बाद, लालू प्रसाद के महुआ बाग स्थित बंगले की चर्चा तेज़ हो गई है। इस आलीशान बंगले को लेकर बिहार की सत्तारूढ़ जदयू और भाजपा ने आरजेडी को घेरना शुरू कर दिया है। इस बंगले पर चर्चा के बीच,आयकर विभाग ने 11 दिसंबर 2025 को आदेश जारी कर कई वर्षों से बंद पड़े चिड़ियाघर (शास्त्रीनगर) के पास स्थित बंगले को बेनामी संपत्ति के रूप में अंडर‑टेक करने का निर्देश दिया है। इनकम टैक्स पटना ने इसको लेकर प्रशासक नियुक्त किया। अब यह बंगला अगले 7 दिनों में सरकार का हो जाएगा।
सूत्रों के अनुसार, इस कोठी को एकीकृत बिहार में टाटा का गेस्ट हाउस माना जाता था। स्थानीय लोगों का कहना है कि 1990 से 2000 तक यह बंगला टाटा कंपनी का दफ़्तर‑गेस्टहाउस था। चारा घोटाला केस के उजागर होने के बाद स्व. सुशील मोदी ने आरोप लगाया था कि यह बंगला लालू‑राबड़ी के शासनकाल में टाटा कंपनी का था। उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद ने कंपनी को विभिन्न प्रकार से फायदा पहुँचाकर उपकृत किया, और बदले में 2002 में इस बेशकीमती ज़मीन और मकान की खरीद दिखाई गई। उस समय बिहार में राबड़ी देवी मुख्यमंत्री थीं।
बीजेपी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री स्व. सुशील मोदी ने इस बंगले को लेकर आरोप लगाया था कि लालू प्रसाद ने 30 अक्टूबर 2002 को टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी लिमिटेड की 7,105 वर्ग फुट जमीन पर निर्मित इस कोठी को एक फर्जी कंपनी (जिसके निदेशक तेजस्वी सहित लालू परिवार के सदस्य हैं) के नाम पर खरीदा था। यह बंगला 5,348 वर्ग फुट में बना है।
Updated on:
14 Dec 2025 03:44 pm
Published on:
14 Dec 2025 03:43 pm
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