
हिंदी सिनेमा के अभिनेता और निर्देशक राज कपूर
Raj Kapoor B'day: 1970 की दहाई की बोल्ड हीरोइन के तौर पर पहचान बनाने वाली जीनत अमान और शोमैन राज कपूर के बीच अफेयर के चर्चे बहुत होते रहे हैं। दोनों के अफेयर के चर्चे को किसी और ने नहीं, बल्कि हिंदी फिल्म के सबसे हैंडसम सितारे देव आनंद ने हवा दी थी।
देव आनंद ने अपनी किताब 'रोमांसिंग विद लाइफ' में लिखा है- 'जीनत को 'हरे रामा, हरे कृष्णा' फिल्म के दौरान राज कपूर से प्यार हो गया था। देव आनंद ने दशकों पहले दिए एक इंटरव्यू में यह भी कहा था- 'मैंने हरे रामा, हरे कृष्णा फिल्म की सफलता का जश्न मनाने के लिए एक पार्टी दी थी। उस पार्टी से जीनत जो मेरी खोज थीं, उसे उसे नीली आंखों वाला लड़का मुझसे चुरा ले गया।' देव साहब के दावे पर पांच दशक से ज्यादा समय बीत जाने के बाद जीनत ने चुप्पी तोड़ी और खुद राज कपूर से अपने रिश्ते को लेकर कहा- 'वो अपने काम को लेकर जुनूनी थे और मैं अपने काम को लेकर जुनूनी।'
काम को लेकर दोनों जुनूनी थे, जीनत का यह दावा 100 फीसदी सचाई से भरा हुआ है। जीनत को 'हरे रामा, हरे कृष्णा' फिल्म से सफलता मिली और बॉलीवुड को एक बोल्ड और फैशनपरस्त अदाकारा। इस फिल्म में उन्होंने जसबीर का किरदार निभाया था। फिल्म में हिप्पी ग्रुप की पार्टियों में उन्हें जेनिस बुलाया जाता था।
राज कपूर ने इस शानदार चमकती जेनिस को 'सत्यम, शिवम्, सुंदरम' में गांव की रूपा का किरदार निभाने को राज कपूर ने राजी कर लिया। वह रूपा जो गांव की एक भोली, भाली और धार्मिक और सुरीली आवाज की मल्लिका है और जिसका आधा चेहरा जला हुआ है। सुनील दत्त ने इन पंक्तियों के लेखक से 1997 में हुई एक औपचारिक बातचीत में राज कपूर के बारे में बात करते हुए कहा था- 'वह बेहद जीनियस, मल्टी टैलेंटेड व्यक्ति थे। उन्होंने हिंदी फिल्मों में कई सितारों को तराशा। उनकी ज्यादातर फिल्में बेहद लोकप्रिय और सफल रहीं। संगीत के बारे में उनकी समझ बहुत गहरी थी।'
सुनील दत्त ने राज कपूर के निर्देशन की तारीफों के पुल बांधते हुए तब कहा था कि वो ऐसे निर्देशक थे, जो जीनत अमान जैसी चमकदार किरदार को गांव की रूपा में ढाल सकते थे। उन्होंने कहा कि आपको राज कपूर के निर्देशन को समझना हो तो हरे रामा, हरे कृष्णा और सत्यम शिवम् सुंदरम दोनों ही फिल्में देखनी चाहिए।
राज कपूर की की फिल्म 'आवारा' 1951 में रिलीज हुई। फिल्म और इसके गानों ने लोकप्रियता की सारी बुलंदियों को हासिल कर लिया। राज कपूर रूस, चीन या दुनिया के किसी कोने में जाते तो उनके सम्मान में आवारा के गीत गाए और बजाए जाते थे। इस गाने की धुन का भी एक बेहद इंटरेस्टिंग किस्सा है। दरअसल, रूस के प्रधानमंत्री निकोलाई बुल्गानिन ने एक दावत के दौरान एक गाना गाया था, जिसके आधार पर 'आवारा हूं…' की धुन तैयार की गई थी। इस गीत के बोल महान गीतकार शैलेंद्र ने लिखे थे और इसकी धुन शंकर-जयकिशन की जोड़ी ने तैयार की थी।
लेखक जयप्रकाश चौकसे का राज कपूर से बेहद आत्मीय संबंध था। वह राजकपूर को हिंदी फिल्मों का कबीर बताते थे। उनका कहना था कि राज कपूर आम आदमी के दर्द, प्रेम और संघर्ष को अपनी फिल्मों के जरिए कविता की तरह बयां करते थे। उन्होंने शोमैन पर 'राज कपूर: सृजन प्रक्रिया' एक किताब भी लिखी थी।
जयप्रकाश चौकसे ने अपनी किताब में पटकथा लेखक ख्वाजा अहमद अब्बास के हवाले से रूस में आवारा के लोकप्रिय होने के एक बेहद मार्मिक प्रसंग का उल्लेख किया है। ख्वाजा अहमद ने निकिता खुश्चेव से जब यह पूछा कि राज कपूर रूस में इतना अधिक लोकप्रिय क्यों हैं? इसके जवाब में खुश्चेव ने कहा था- रूस के लोगों ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान भयानक दर्द झेला। यहां की जनता ने युद्ध की बहुत कीमत चुकाई। देश गरीबी की आग में जल रहा था और यहां सिर्फ और सिर्फ युद्ध को लेकर फिल्में बन रही थी। इस माहौल में राज कपूर की फिल्में आनंद की तरह रूस के लोगों की जीवन में आई। उनकी फिल्मों ने लोगों के जख्मों पर मरहम लगाने का काम किया।
वहीं एक बार बातचीत में जयप्रकाश चौकसे ने शैलेंद्र, मुकेश और राज कपूर की तारीफ करते हुए कहा था- शैलेंद्र के बोल 'जख्मों से भरा सीना है, परन्तु हंसती है ये मेरी मस्त नजर' और राज कपूर की आम आदमी वाला किरदार लोगों के दिल की गहराइयों में उतर जाते थे।
राज कपूर को दुनिया छोड़कर गए आज 37 साल हो गए। उनकी फिल्में आवारा, श्री 420, मेरा नाम जोकर, तीसरी कसम, आह आदि को रिलीज हुए कई दशक बीत गए लेकिन शोमैन राज कपूर का जलवा बरकरार है। उनकी फिल्मों के गाने आज भी लोगों की जुबान पर चढ़े हुए हैं।
Updated on:
13 Dec 2025 01:43 pm
Published on:
13 Dec 2025 01:42 pm
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