
तेजस्वी के सामने पीके की चुनौती (फोटो-ians)
Bihar Assembly Elections: बिहार विधानसभा चुनाव में राघोपुर (Raghopur) में मुकाबला दिलचस्प हो सकता है। जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने इशारा किया है कि वह राघोपुर से चुनाव लड़ सकते हैं। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि मैं हमेशा दूसरों को कहता हूं कि चुनाव दो ही जगह से लड़ना चाहिए, या तो जन्मभूमि से या फिर कर्मभूमि से। जन्मभूमि के हिसाब से मुझे सासाराम की करगहर सीट से चुनाव लड़ना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि यदि नीतीश कुमार विधानसभा चुनाव लड़ते तो मैं उनके खिलाफ पर्चा भरता, लेकिन वह चुनाव नहीं लड़ते हैं। इसलिए मैं राघोपुर को कर्मभूमि मानता हूं। उन्होंने कहा कि मेरे पास करहगर (रोहतास) और राघोपुर (वैशाली) में से एक सीट चुनने का विकल्प है लेकिन इस पर अंतिम फैसला मेरी पार्टी को लेना होगा।
प्रशांत किशोर लगातार तेजस्वी यादव (Tejashwi) को चुनौती देते हुए दिखाई पड़ते हैं। अब उन्होंने राघोपुर से चुनाव लड़ने का इशारा भी कर चुके हैं। प्रशांत बिहार की जनता को बताने में एक बार भी नहीं चूकते हैं कि तेजस्वी 9वीं फेल हैं। उनमें ज्ञान की कमी है। बिहार की जनता उन्हें सीएम के रूप में स्वीकार नहीं कर सकती है।
प्रशांत किशोर ने बीते दिनों मुजफ्फरपुर में एक सभा में कहा कि राहुल गांधी चाहे तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री मानें या न मानें, इसका कोई असर नहीं होगा। पीके ने कहा कि जनता पहले ही तय कर चुकी है कि तेजस्वी उनके मुख्यमंत्री नहीं होंगे। पिछले कुछ महीनों से प्रशांत किशोर अपने भाषणों में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को चुनौती देते हुए दिखाई देते हैं। प्रशांत किशोर के इन बयानों से देखें तो लगता है कि वह राघोपुर सीट से चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं।
राजद नेता व बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि प्रशांत किशोर को मीडिया ज्यादा तव्वजो दे रही है। उन्होंने कहा कि मीडिया एक नए बने राजनीतिक दल को जरूरत से ज्यादा अहमियत दे रही है। उन्होंने कहा कि अच्छा होगा कि पीएम नरेंद्र मोदी उनके खिलाफ राघोपुर सीट से चुनाव लड़ें, लेकिन इसके लिए नरेंद्र मोदी को पीएम का पद छोड़ना होगा।
राजद के एक नेता ने कहा कि सूबे में केवल दो ही गठबंधनों के बीच चुनावी लड़ाई है- एनडीए और इंडिया गठबंधन।
राघोपुर विधानसभा सीट बिहार के वैशाली जिले में आती है। राघोपुर सीट पिछले 30 वर्षों में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और विशेष रूप से लालू प्रसाद यादव के परिवार का मजबूत गढ़ रही है। साल 1995 में लालू यादव ने पहली बार जनता दल (बाद में RJD) के टिकट पर राघोपुर से पहली बार चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। यह सीट उनके लिए उदय नारायण राय (भोला राय) ने छोड़ी थी, जो 1980 से 1995 तक लगातार विधायक रहे। इस जीत ने राघोपुर को लालू परिवार के राजनीतिक प्रभाव का केंद्र बना दिया।
चारा घोटाले में लालू यादव के जेल जाने के बाद साल 2000 के उपचुनाव में उनकी पत्नी राबड़ी देवी ने चुनावी ताल ठोकी और जीत दर्ज की। साल 2000 के विधानसभा चुनाव, और 2005 के विधानसभा चुनावों में राबड़ी देवी ने जीत दर्ज की। साल 2010 के विधानसभा चुनाव में पहली बार राजद और लालू परिवार को यहां हार का सामना करना पड़ा। JDU के सतीश कुमार ने राबड़ी देवी को 13,006 वोटों के अंतर से हराया। 2015 के विधानसभा चुनाव में लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव की एंट्री हुई। उन्होंने इस सीट से चुनाव जीता। फिर 2020 में भी तेजस्वी राघोपुर सीट से जीतकर बिहार विधानसभा पहुंचे।
राघोपुर यादव बाहुल्य जनसंख्या वाली विधानसभा सीट है। हालांकि, यहां राजपूत और अन्य समुदायों की आबादी भी अच्छी खासी मानी जाती है। राघोपुर में 2015 में आरजेडी को 49.15% और बीजेपी को 36.9% वोट मिले थे और वह दूसरे नंबर पर रही थी। 2020 में राघोपुर से आरजेडी ने 48.74% वोट शेयर के साथ जीत दर्ज की थी जबकि बीजेपी को 29.64% वोट मिले थे और तब भी वह दूसरे नंबर पर रही थी।
वहीं, प्रशांत किशोर ने चुनाव लड़ने के लिए जिस दूसरी सीट करहगर की बात की है, उसका गठन बिहार में परिसीमन के बाद हुआ था। साल 2015 में यहां जदयू ने 32.08% वोट के साथ जीत हासिल की थी और उपेंद्र कुशवाहा की RLP (अब RLM) 36.9% वोट के साथ दूसरे स्थान पर रही थी। 2020 में कांग्रेस ने 30.76% वोट के साथ जीत दर्ज की जबकि जदयू 28.66% वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रही।
Published on:
06 Sept 2025 01:37 pm
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