
Discover why bottled water may harm your health (फोटो सोर्स: AI image@Gemini)
Bottled Water Side Effects : क्या आप भी सोचते हैं कि बाजार से खरीदा हुआ पानी, नल के पानी से ज्यादा शुद्ध होता है? अगर हां, तो ज़रा रुकिए, हाल ही में हुआ एक बड़ा वैज्ञानिक शोध आपकी इस सोच को हमेशा के लिए बदल सकता है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि प्लास्टिक की बोतलों में बंद पानी पीना आपके स्वास्थ्य के लिए गंभीर और दीर्घकालिक खतरा पैदा कर सकता है।
कॉन्कॉर्डिया यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता सारा सजेदी (Sarah Sajedi) ने अपनी पीएचडी यात्रा थाईलैंड के फी फी द्वीप समूह के खूबसूरत नजारों से नहीं, बल्कि जमीन पर बिखरी प्लास्टिक की बोतलों के ढेर को देखकर शुरू की। व्यवसाय की दुनिया छोड़कर शोध में आईं सारा को एहसास हुआ कि यह सिर्फ कचरा नहीं, बल्कि हमारी खपत की समस्या है। उनकी नवीनतम रिसर्च, जो ‘जर्नल ऑफ हैजर्डस मटीरियल्स’ में प्रकाशित हुई है बताती है कि सिंगल-यूज प्लास्टिक वॉटर बॉटल्स कैसे एक खामोश दुश्मन हैं।
सारा सजेदी के विश्लेषण के अनुसार, एक आम व्यक्ति हर साल करीब 39,000 से 52,000 माइक्रोप्लास्टिक कण निगलता है। लेकिन जो लोग मुख्य रूप से बोतलबंद पानी पर निर्भर हैं, यह संख्या 90,000 कणों तक बढ़ जाती है। ये कण इतने छोटे होते हैं कि आंखों से दिखाई भी नहीं देते है। माइक्रोप्लास्टिक एक बाल से भी छोटे होते हैं, जबकि नैनोप्लास्टिक तो एक माइक्रोन से भी सूक्ष्म होते हैं।
ये महीन कण बोतलों के निर्माण, भंडारण, परिवहन और धूप या तापमान में बदलाव के कारण प्लास्टिक के टूटने से निकलते हैं। सबसे खतरनाक बात यह है कि ये सीधे बोतल से ही पानी में मिलकर हमारे शरीर में पहुंच जाते हैं।
एक बार शरीर के अंदर जाने के बाद ये छोटे प्लास्टिक कण हमारी जैविक दीवारों को पार करके खून के जरिए बड़े अंगों (मस्तिष्क, लिवर, किडनी) तक पहुंच सकते हैं। शोध बताते हैं कि ये कण क्रोनिक सूजन, कोशिकाओं पर तनाव, हॉर्मोनल असंतुलन, प्रजनन संबंधी समस्याएं, तंत्रिका संबंधी क्षति और यहां तक कि कुछ प्रकार के कैंसर को भी बढ़ावा दे सकते हैं। हालांकि, इनके दीर्घकालिक प्रभाव पर अभी और गहन अध्ययन की आवश्यकता है।
यह स्टडी साफ संकेत देती है कि रोजमर्रा की जिंदगी में प्लास्टिक की बोतलों का उपयोग करने से बचना चाहिए। वैज्ञानिकों का कहना है कि:
कम प्लास्टिक कण: नल का पानी (Tap Water) पीने वालों के शरीर में बोतलबंद पानी पीने वालों की तुलना में सालाना 90,000 कम प्लास्टिक कण जाते हैं।
कड़े नियम: विकसित देशों (और अब भारत में भी FSSAI) में नल के पानी की गुणवत्ता पर ज्यादा कड़े और नियमित नियम लागू होते हैं, जबकि बोतलबंद पानी के मानकों में अक्सर ढिलाई होती है।
मूल्य संवर्धन: आपके लिए कुछ और जरूरी बातें
गर्मी और घर्षण से बचें: बोतलबंद पानी को धूप या गर्मी में रखने से प्लास्टिक के रसायन और कण पानी में तेजी से घुलते हैं। बोतल को बार-बार दबाने या ढक्कन खोलने-बंद करने से भी कणों का रिसाव बढ़ता है।
अन्य खतरे: माइक्रोप्लास्टिक के अलावा, गर्म होने पर प्लास्टिक से बिस्फेनॉल-ए (BPA) और थैलेट्स जैसे हानिकारक रसायन भी निकलते हैं, जिन्हें डायबिटीज , मोटापा और प्रजनन समस्याओं से जोड़ा गया है।
भारत में खतरा: भारत दुनिया के सबसे बड़े प्लास्टिक प्रदूषकों में से एक है। देश के कई शहरों के पेयजल में पहले से ही थैलेट्स (Phthalates) का स्तर सुरक्षित सीमा से अधिक पाया गया है, जो इस समस्या को और भी गंभीर बना देता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि प्लास्टिक की बोतल का पानी केवल आपात स्थिति में ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए, न कि रोजमर्रा के जीवन में। सबसे महत्वपूर्ण कदम है जागरूकता और शिक्षा।
स्टील या कांच की बोतल: हमेशा स्टील (धातु) या कांच (Glass) की बोतलों का इस्तेमाल करें। ये प्लास्टिक का सुरक्षित विकल्प हैं।
पानी उबालें या फिल्टर करें: यदि आप नल के पानी की शुद्धता को लेकर चिंतित हैं, तो उसे उबालकर पिएं या अच्छे फ़िल्टर का उपयोग करें।
यह समय है कि हम सुविधा के नाम पर अपनी सेहत और पर्यावरण को दांव पर लगाना बंद करें। अगली बार जब आपको प्यास लगे, तो याद रखें: आपकी सेहत का सच्चा दोस्त बाज़ार की चमकीली बोतल नहीं, बल्कि आपके घर का नल का पानी है।
Published on:
01 Oct 2025 02:31 pm
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