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मानसून के जाते ही फिर से गैस चेंबर बनेगा दिल्ली-NCR? नाराज CJI ने Air Pollution को लेकर चार राज्यों को लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण (Air Pollution) मामले को लेकर स्वत: संज्ञान लेते हुए देश के चार राज्यों को कड़ी फटकार लगाई है। देश में वायु प्रदूषण एक गंभीर चुनौती बनकर उभरा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक वायु प्रदषूण से साल 2019 में 73 लाख मौतें हुई।

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Delhi AIR Pollution

वायु प्रदूषण (फोटो-IANS)

मानसून (Monsoon) के बीतते ही उत्तर भारत वायु प्रदूषण (Air Pollution) की चादर ओढ़ लेता है। दिल्ली-NCR पूरी तरह से गैस चेंबर में तब्दील हो जाता है। वायु प्रदूषण को बढ़ने से रोकने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीए€यूएम), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को निर्देश दिया कि वे तीन हफ्तों के भीतर वायु प्रदूषण से निपटने की योजना पेश करें। कोर्ट ने सर्दियों से पहले संबंधित विभागों व राज्य सरकारों से रिपोर्ट मांगी है।

राज्य सरकारों को लगाई फटकार

भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में खाली पदों को लेकर भी नाराजगी जाहिर की। CJI गवई की बेंच ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब की सरकार को तीन महीने के भीतर रिक्त पदों को भरने के निर्देश दिए हैं। हालांकि, पदोन्नति वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को छह महीने की राहत दी है। कोर्ट ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने पूछे सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार से पूछा कि पराली जलाने वाले किसानों की गिरफ्तारी क्यों न हो? लोगों को सख्त संदेश क्यों न दिए जाएं। पंजाब सरकार को चेतावनी देते हुए कोर्ट ने कहा कि आप आप खुद फैसला लीजिए, नहीं तो हमें आदेश जारी करना पड़ेगा। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि पराली जलाने वाले किसानों को सरकार जेल भेजने से क्यों डर रही है। CJI गवई ने कहा कि किसानों का स्थान विशेष है। हम उनकी वजह से भोजन कर पाते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि पर्यावरण की रक्षा न हो। गवई ने कहा कि कुछ लोग सलाखों के पीछे जाएंगे तो इससे समाज में सख्त संदेश जाएगा।

लाल किला पड़ रहा काला, ताजमहल की चमक हो रही फीकी

देश में बढ़ते वायु प्रदूषण के चलते कई राष्ट्रीय धरोहर बदरंग और फीके पड़ते जा रहे हैं। एक रिसर्च के मुताबिक वायु प्रदूषण के कारण लाल किले के दीवारों पर काली परत जम गई है। बलुआ पत्थर से बने लाले किले के दीवार पर 0.05 मिमी मोटाई की काली परत जम गई है। इससे किले की दीवारों पर बनी नक्काशी के नष्ट होने का खतरा है।

दिल्ली का लोटस टेंपल भी धीरे धीरे धूसर रंग में बदला जा रहा है। इसकी मुख्य वजह भी वायु प्रदूषण ही है। बहाई धर्म के उपासना स्थल की चमक फीकी पड़ती जा रही है। दुनिया के सात अजूबों में से एक ताज महल भी वायु प्रदूषण के कारण अपनी रंगत गंवा रहा है। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ताजमहल प्रदूषण से पीले और हरेभूरे रंग का हो गया है। इसे संरक्षण दिया जाए या बंद या जमींदोज कर दिया जाए। अगर ताजमहल को बचाना है तो केंद्र सरकार को दूसरे विकल्प की तलाश करनी चाहिए।

अर्थव्यवस्था को हो रहा नुकसान

वायु प्रदूषण का असर अर्थव्यवस्था पर भी साफ तौर पर पड़ रहा है। सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर और ग्रीनपीस की साल 2020 की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था को वायु प्रदूषण के कारण 1.05 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। यह कुल सकल घरेलू उत्पाद का 5.4 फीसदी के बराबर है।

भारत में वायु प्रदूषण से 73 लाख मौतें

भारत में वायु प्रदूषण गंभीर चुनौती बनकर उभरा है। स्वीडन के कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट की साल 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, उस साल देश में 73 लाख मौतें वायु प्रदूषण की वजह से हुई थी। इस रिपोर्ट में बताया गया कि वायु प्रदूषण से जुड़ी मौतों की संख्या 2009 में 45 लाख से बढ़कर 2019 में 73 लाख हो गई।

वायु प्रदूषण के कारण दुनिया भर में कैंसर, दिल की बीमारी और अस्थमा के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है। अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय की रिसर्च में बताया गया कि वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से इस्केमिक हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। अमेरिकन लंग एसोसिएशन के अनुसार, दुनिया भर में वायु प्रदूषण के कारण होने वाले फेफड़ों के कैंसर से दुनिया भर में हर साल 2 लाख 23 हजार लोग मरते हैं। दुनिया भर में वायु प्रदूषण के चलते अस्थमा के शिकार 2 लाख 50 लोगों की मौत हो जाती है।